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( १९१) १ अनादिना एकज परमात्माए आ जगत्नी रचना करी त्यारे तो जगत्नी आदि अने परमात्मानी अनादि थाय के नहीं। __ २ परमात्मा अनादिनो छे तो ते पहेला केटला कालसुधी वेशी रह्या पछी रचना करवानी उपाधिमां पड्या हशे ? ___३ आ पृथ्वी अने आकाश बनता पहेलां परमात्मा प्रोते कया ठेकाणे रहेला हशे वारु ?
४ वळी कहो छो के-- परमात्मा तो निरंजन निराकार छे, तो तेने पग, पेट, माथु होय खरुं के ?
५ कहेशो न होय, तो पछी वेदनीज श्रुतिओमा परमात्माना पेट, पग अने माथाना क्रमथी नरक, मर्त्य अने स्वर्ग ए त्रण जगत्नी उत्पत्ति केम लखी हशे ? ___६ अने ते त्रणे लोकनी उत्पत्तिनी श्रुतिओ झूठी लखी हशे के साची ? ___७ जीवो अने परमाणुओ तो लोकोमा अनादि मनाय छे तो ते सृष्टिनी रचना पहेलां हतां के नहीं ?
कदाच कहेशो के जीवो अने परमाणुओ सृष्टिनी रचना पूर्वे हतां तो पछी परमात्माए कई वस्तुनी रचना करी ?
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