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वैदिकधर्मानुयायिओना र जैनमतानुयायिओना शब्दो.
तेवाज अर्थना शब्दो. अहिंसा.
प्राणातिपातविरमणवत. सत्य.
मृषावादविरमणव्रत. अस्तेय.
अदत्तादानविरमणव्रत. ब्रह्मचर्य.
मैथुनत्यागवत. उपर आपेला शब्दो उपरथी अने वैचित्र्य उपरथी एम देखाई आवे छे के एकाद नवीन धर्मने ज्यां सुधी ते जुदो पंथ छे एम मानवामां आवतो नथी त्यां सुधी ठीक होय छे पण पछी एक वखते जुदापणुं थवा लाग्युं एटले अमो तमारा करतां बिलकुल स्वतन्त्र अने जूदा छीये एम बताववा माटे केवा केवा विचित्र प्रयत्नो करवां पडे छे तेनु प्रत्यक्ष उदाहरण जैन धर्मना शब्दो उपरथी अने ग्रन्थो उपरथी देखाई आवे छे. वैदिक धर्मिओनुं अने जैनधर्मिओयूँ आगल जे जुदापणुं मनायु अने ते बन्नेमां जे द्वेषभाव मच्यो अने जे द्वैतपणं उत्पन्न थ ते
१ अहिंसादिकनुं कथन कुरानादिक बधाए मतना मूल ग्रंथोमां तात्पर्यरूपथी कहेलु होय छे, मात्र पोताना सुखोना माटे आगळ पाछळ फेरखी नाखवामां आव्या पछी स्वार्थी लोको तेने सिद्धांत तरीके मानी बेठे छे.
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