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राखता. पछी अनेक कारणोना लीधे जैनधर्मियोमा अने जुना मार्गे चालनाराओमां मतभेद अने टंटा विगेरे थवाथी जैनधर्म ए बिलकुल जुदो पन्थ छे एम लोकोने भासवा लाग्युं. जैनधर्मना ग्रन्थोमां बीनी एक ध्यानमा राखवा जेवी वात नजरे पडे छे. ते एछे के वैदिकधर्भमां अथवा वेदानुयायि भागवतादि ग्रन्थोमां जे सेंकडो राजाओना नामो छे ते सर्वेने ( राजाओने शुं पण पंडितोने पण ) जैनग्रन्थकारोए जैन बनाव्या छे. उदाहरण तरीकेराम जैन, कृष्ण जैन, पांडव जैन, नळ जैन, दमयन्ती जैन, चाणक्य जैन, विगैरे घणा ठेकाणे कथाओमां विपर्यास करेलो नजरे पडे छे. परशुरामे एकवीस वखते पृथ्वी निःक्षत्रिय करी. तेओना जैन राजाए सत्तावीस वखते पृथ्वी निर्ब्राह्मण करी. परिक्षित राजा मरणोन्मुख थयो त्यारे सात दिवसोमां तेने श्रीमद् भागवत संभलाव्यु. एवी जे वैदिकधर्मानुयायिओमां एक कथा छे तेज प्रमाणे तेओना एक ग्रन्थमां पण तेवीन कथा छे. कथाओमा ए प्रमाणे साम्य अने विपर्यास मळी आवे छे एमां आश्चर्य नथी. कारण के, मतना शब्दोमां पण साम्य अने शब्द विचित्रता नजरे पड़े छे.---
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