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विचार प्रचलित करेलो तेनो नाश कुमारिलभट्ट विगेरेना हाथथी बिलकुल थयोज नथी. हवे हालमां भारतीय लोकोना जे आचार विचार अने धर्मसंस्थाओ छे तेओमां जैन धर्मसंस्था अने विचार मळी गएला छे. ए नगर प्रदक्षिणा, आलंदीनी पालखी, पोताना षोडषोपचारनी पूजा, नैवेद्यसमर्पण विगेरे जैनधर्मिओना साथे तुलना करी जोतां तरत ध्यानमां आवी जशे. ए शिवाय कुमारिलभट्टादिकोए जैनोनी साथे ठेकठेकाणे वादविवाद करी तेओनो पराभव कर्यो विगेरे जे दन्तकथाओ छे ते विषे शोध करतां सामान्य लोको ते विषे जेटलं माने छे तेटलं तेनुं स्वरूप नहीं होईने दयानन्द सरस्वतीना खंडन प्रमाणे तेमां लटपट अने ग्राम्य त्र्यवहार विशेष देखाय छे.
तात्पर्य — जैन अने बौद्ध धर्मविषे भारतीय लोकोमां आजदिनसुधी जे भयंकर गेर समजुतीयो थई छे, ते गेरसमजुतिओ थवाने जैनधर्मनुं अने बौद्धधर्मनुं पछीनुं स्वरूप तपासीए एटले तेवा प्रकारना जुदाजुदा कारणो पण थयां हतां एम देखाय छे. परन्तु जैनधर्मनुं अने बौद्धधमनुं आद्यस्वरूप जोइसुं तो जैन अने बौद्ध ए जुदा नथी पण विशुद्ध वैदिक धर्म तेज जैन अने बौद्ध धर्म छे एम जणाशे.
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