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शब्दना अर्थना विषे निर्विवाद एकमत न हतो एम स्पष्ट देखाय छे. अर्थात् ते शब्दनो हालना जैनग्रंथकार जे अर्थ करे छे तेनुं अमो प्रमाण आपता नथी तो एमां कांइपण खोटुं नही ए प्रगटज छे. सताराना आसपासना गाममा रहेता छतां “ अमे सताराना छीए " एम कहेवानो जे प्रमाणे एक लोकव्यवहार छे ते प्रमाणेज वैशालिक शब्दनो व्यवहार समजवो जोइए. वैशालिक शब्दनो यद्यपि विशालीमा रहेनारो एवो अर्थ थाय छे तोपण जे प्रमाणे सतारानो रहेनारो कहेवाथी नजीकना गामडाओमां रहेनाराओनो समावेश थाय छे तेज प्रमाणे कुण्डग्राम ए विशालीना नजीकर्नु होय तोपण कुण्डग्रामना रहेनाराओनो पण वैशालिक शब्दथी ग्रहण थाय छे. हवे कुण्डग्राम ए विशालीना पासेनुं एक नहानुं गामडुं गणीए तो कुण्डग्रामाधिपति एटले मोटो सार्वमौम राजा एवो अर्थ न लेतां एकाद गामडानो अधिपति एमज मानवू जोइए. हवे जैनग्रंथकारोए सिद्धार्थने मोटो बलाढ्य राजा गणी एना ठाठमाठनो अने वैभवतुं जे भपकादार वर्णन आप्युं छे तेमांथी अतिशयोक्ति बाद करी यथार्थ रीते गणीए तो सिद्धार्थ ए एक नहानो जमीनदार हतो एवेंज ठरे. कारण जे ठेकाणे तेनो उल्लेख आवे छे ते ठेकाणे पण तेने क्षत्रियज कह्यो
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