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णोनो जे नास्तिकवाद अने अज्ञेयवाद कहेवामां आवे छे तेने अने महावीरनी सुधारणा पेहलां-ब्राह्मणधर्मना विविविधानमां जे केवल अत्याचार थएलो हतो तेने पाछो हठाव्यो ते हतुं. __ जैनधर्मनो बौद्धधर्म जेटलो जो के विस्तार थयो नथी, पण तेनुंज महत्व हिंदुस्थानवालाने वधारे छे.
कारण जैनधर्मवालानी क्रिया सरु थवाथी, पालना विचारोनो वधारो थवाथी बचाव थतो गयो. - जैनधर्मनु खलं महत्व धर्मना अंगांनी ययाप्रमाण वहेचणी थवाने लीधेज छे. तेनो थोडो घणो खुलाशो करूं छु. ____ प्रत्येकधर्मना-१ भावनोद्दीपक कथा पुराणो, २ बुद्धिबर्द्धक तत्वविज्ञान, अने ३ आचारबर्द्धक कर्मकांड, ए त्रण मुख्य अंगो होय छे.
घणा खरा धर्मोमां-विधिविधानरूप जे कर्मकांड तेनोन प्रचार थई, इतर वे अंगो गौणपणे थईने रहेलां होय छे. अने भावनोदीपक कथा पुराणोनुं अंग मात्र लोकप्रिय होय छे. बौधिक एटले तत्त्वज्ञाननी अभिवृद्धि, आर्यधर्मनं मुख्य लक्षण होय छे. पण ए त्रणे अंगोनी एकला जैनधर्ममांज सर
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