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(३३) कोई जगत्को भावस्वरूप कहते है, तो कोई शून्यस्वरूप बतलाते है, तब तो अनेकांतवाद अनायाससे सिद्ध हो गया. ____ कोई कहते है घटादि द्रव्य है, और उनमें रूप, स्पर्शादि गुण है । दूसरा वादी कहता है कि, द्रव्य कोई चीज नहीं है, वह तो गुणसमुदाय रूप है. ___ कोई कहता है कि आकाश नामक शब्दजनक एक निरवयव द्रव्य है, अन्यवादी कहता है कि वह तो शून्य है. कोई वादी कहता है कि, गुरुत्व गुण है, दूसरा कहता है कि, गुरुत्व कोई चीन ही नही है, पृथ्वीमैं जो आकर्षण शक्ति है उसे गुरुत्वनामक गुण माना है.
मित हित वाक्य पथ्य है, उसीसे ज्ञान होता हे, वाग्जालका कोई प्रयोजन नहीं है." इत्यादि ।
५ पृष्ट १०१ थी लोकमान्य तिलकना उद्गारो-“पुर्वकालमें यज्ञके लिए असंख्य पशुहिंसा होतीथी इसमें प्रमाण मेघदूतादिक अनेक ग्रन्थोसे मिलते है. रंतिदेव नामक राजाने यज्ञमें इतना प्रचुर वध किया था कि नदीका जल खूनसे रक्तवर्ण होगया, उन
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