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क्योंकि इसी के परिणाम स्वरूप देश की अस्त-व्यस्त व्यवस्था को बदलना सम्भव हो सका है। सम्भवतः इसी उद्देश्य की पूर्ति को ध्यान में रखकर वंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपनी कृति 'आनन्द मठ' में लिखा था
वंदे मातरम्।६०
इस प्रकार उपर्युक्त काव्यान्तर्भूत तथ्यों के उद्घाटन से काव्य का वैशिष्टय सिद्ध है।
(ब) काव्य भेद
भेद शब्द 'विद्' धातु से भाव (भेदनं भेदः) अथवा करण (मिथतेऽनेति भेदः) अर्थ में 'घञ्' प्रत्यय लगने से निष्पन्न होता है और इसके अनेक अर्थ होते है जिसमें एक पृथक्करण भी है। इसका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ हैकिसी वस्तु अथवा पदार्थ का भिन्न-भिन्न स्वरूप। इसी भेद शब्द के अर्थ में विभाग, प्रकार विद्या आदि शब्द भी प्रयुक्त होते है। साहित्यशास्त्र में आचार्यों ने काव्य का वर्गीकरण कई आधारों पर किया है। जिन्हें प्रमुख रूप से निम्न छः आधारों पर दर्शाया जा सकता है।
१. आकार की दृष्टि से २. बन्ध की दृष्टि से
भाषा की दृष्टि से
अर्थ की रमणीयता की दृष्टि से ५. इन्द्रिय ग्राह्यता की दृष्टि से