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प्रथम,रियोद: जेनकुमारसम्भव महाकाव्य का महाकाव्यत्व,
३७.
वक्रोक्तिजीवितम्-कुन्तक-१-७
मम्मट, काव्यप्रकाश मम्मट-१-४
साहित्यदर्पण- विश्वनाथ-१-३
४०.
रस गंगाधर- पं० राजजगन्नाथ, पृ० ४
साहित्यदर्पण- प्रथम परिच्छेद
शारङ्ग पद्धति में यह श्लोक 'शिलाभट्टारिका के नाम से दिया गया है।
४३.
सान्द०प्र०, परि०!
रसगंगाधर, पृ०५
वही, पृ०४
रसगंगाधर- प्रथमाननम्।
रिपब्लिक 'फ्रीड्स' और 'आमोन'- प्लेटो
_ 'ए डिफेन्स ऑफ पोयट्री- शेली।
हितोपदेश-१-६९
कालिदास- विक्रमो-६६
मीति-१-७२
५२.
काव्यालंकार- भामह
नाट्य शास्त्र-३३७/४
१.
रसगंगाधर की टीका में नोचितां के प्रतीक को लेकर
काव्यमीमांसा-राजश्वर, द्वितीय अध्याय
काव्यालंकार- भामह-५/३,४
५७.
वही, १/२
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