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षष्ठ, महिलाद : जैनकुमारसम्भव की कलापक्षीय समीक्षा/
कुमारसम्भव में वर्णित अनेक कल्पनाओं को यथावत् ग्रहण किया है। कुमारसम्भव में किया गया 'हिमालय वर्णन' की कल्पना का अनुकरण करते हुए उन्होंने अयोध्यापुरी का वर्णन इस प्रकार किया है
"अस्त्युत्तरस्यां दिशि कोशलेति पुरी परीता परमर्द्धिलोकैः। निवेशयामासपुरः प्रियायाः स्वस्या वयस्यामिव यां धनेशः।।"२६
"सम्पन्नकामा नयनाभिरामा, सदैव जीवत्प्रसवा अवामाः यत्रोज्झितान्यप्रमदावलोका अट्टष्टशोका न्यविशन्त लोकाः।।"२७
जैनकुमारसम्भव के इसी सर्ग (प्रथम) में ऋषभदेव के जन्म से यौवन तक का वर्णन भी कुमार सम्भव में पार्वती के जन्म से यौवन तक के वर्णन से पूर्ण प्रभावित है।८ माता मरुदेवी के गर्भ में स्थित ऋषभदेव का वर्णन कवि ने अपनी कमनीय कल्पना द्वारा इस प्रकार किया है
योगर्भगोऽपि व्यमुचन्न दिव्यं ज्ञानत्रयं केवलसंविदिच्छुः। विशेषलाभं स्पृहयन्नमूलं स्वं संकटेऽप्युज्झति धीरबुद्धिः।।२९