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महाकवि जयशेखर सूरि
जैनकुमारसम्भव का रचनाकाल एवं महाकवि जयशेखरसूरि के जीवनवृत्त का कोई विश्वस्त प्रमाण उपलब्ध नहीं है। महाकवि ने ग्रन्थ के अन्त में अपने नामोल्लेख के अतिरिक्त अपना कोई विशेष परिचय नहीं दिया है। अन्यान्य संस्कृत ग्रन्थों में आंचलगच्छीय परम्परा का उल्लेख इस प्रकार किया गया है
३.
आर्यरक्षित सूरि (आंचलगच्छ संस्थापक) जयसिंह सूरि धर्मघोष सूरि महेन्द्रसिंह सूरि सिंहप्रभु सूरि अजितसिंह सूरि देवेन्द्रसिंह सूरि धर्मप्रभ सूरि सिंहतिलक सूरि महेन्द्रप्रभ सूरि (अ) मुनिशेखर सूरि (ब) जयशेखर सूरि (ग) मेरुतुङ्ग सूरि
उपर्युक्त नामावली के आधार पर यह निश्चित होता है कि जयशेखर सूरि महेन्द्रप्रभ सूरि के शिष्य थे और मुनिशेखर के पश्चात् तथा