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द्वितीय परिच्छेट: जैनकुमारसम्भवकार की जीवन वृत्त, कृतियाँ तथा
जैन काव्य साहित्य की तत्कालीन परिस्थितियाँ एवं प्रेरणाएं
(घ) ऐतिहासिक एवं समसामयिक प्रभावक पुरुष
यद्यपि जैन कवि धनादि भौतिक कामनाओं से परे थे फिर भी कथात्मक साहित्य के अतिरिक्त जैन विद्वानों ने युग की परिणति के अनुकूल ऐतिहासिक और अर्द्ध-ऐतिहासिक कृतियों की रचना की। इन कृतियों में प्रायः ऐसे ही राजवंश या प्रभावक व्यक्ति की प्रशंसा या इतिवृत्त लिखा गया जिन्होंने जैनधर्म के विकास के लिए अपना तन, मन और धन सर्वस्व समर्पित कर दिया था। सिद्धराज जयसिंह, परमार्हत कुमारपाल, महामात्म्य वस्तुपाल झगडूशाह और पेथडशाह आदि उदारमना धर्मपरायण व्यक्ति थे जो किसी भी देश, समाज, जाति के लिए प्रतिष्ठा की वस्तु थे। जैन साधुओं ने उनके जैन धर्मानुकूल जीवन से प्रभावित होकर उन्हें अपने काव्यों का नायक बनाया और उनकी प्रशस्तियाँ लिखी। आचार्य हेमचन्द्र ने कुमारपाल के वंश की कीर्ति-गाथा में 'द्वयाश्रयकाव्य' का प्रणयन किया, वालचन्द्रसूरि ने वस्तुपाल के जीवन पर 'वसन्तविकास' एवं उदयप्रथसूरि ने धर्माभ्युदय काव्य की रचना की। इसी तरह प्रभावक आचार्यों और पुरुषों के नाम लघु निबन्धों के रूप में प्रबन्ध संग्रह, प्रवन्धचिन्तामणि, प्रभावकचाति आदि लिखने की प्रेरणा मिली। ये कृतियां निकट अतीत या समसामयिक ऐतिहासिक पुरुषों के जीवन पर आधारित होने से तत्कालीन इतिहास जानने के लिए बड़ी ही उपयोगी हैं।
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