________________ त्रिषष्ठिशलाका पुरुषों का परिचय प्र.47.त्रिषष्ठिशलाका पुरूष से क्या / (5)चौरासी-चौरासी लाख हाथी, घोड़े अभिप्राय है? __ और रथों के मालिक / उ. 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव 9 (6) 96 करोड़ पैदल सैनिक / वासुदेव एवं 9 प्रतिवासुदेव, इन विशिष्ट (7) 99 लाख अंगरक्षक | महापुरूषों को त्रिषष्ठिशलाका पुरूष (8) 16 हजार मंत्री / कहा जाता है। उत्तम, श्लाघनीय एवं (9) 64 हजार रानियाँ / धर्म-कर्म- भोग में सर्व श्रेष्ठ होने से (10) 72 हजार श्रेष्ठ नगर / इन्हें शलाका पुरूष कहते हैं। एक (11) 96 करोड़ गाँव / अवसर्पिणी अथवा एक उत्सर्पिणी में 63 (12)99 करोड़ दास-दासी / की संख्या में ही होने से ये (13) आठ हजार पण्डित / त्रिषष्ठिशलाका पुरूष कहलाते हैं। (14) एक करोड़ वैद्यराज / तीर्थंकर परमात्मा का विवेचन प्रारंभ में (15) तीन करोड़ आयुधशाला / किया जा चुका है। (16) बीस-बीस हजार स्वर्ण-रजत की प्र.48.चक्रवर्ती किसे कहते है ? खानें। ' उ. मनुष्य लोक के सर्वश्रेष्ठ राजा को (17) सोलह हजार रत्नों की खानें / चक्रवर्ती कहा जाता है। वे सम्पूर्ण भरत (18) चालीस लाख अष्टापदों जितने क्षेत्र के अथवा ऐरावत क्षेत्र के अथवा महाविदेह क्षेत्र की एक विजय के ___ बलशाली। . (19)64 हजार रत्नमय महल / अधिपति होते हैं। चक्रवर्ती की माता चौदह महास्वप्न देखती है। चक्रवर्ती वर्तमान में भरतादि बारह चक्रवर्ती हुए / यानि प्र.49.वासुदेव की व्याख्या कीजिये। (1) बत्तीस हजार देशों के स्वामी / उ. (1) वासुदेव नियाणे (निदान) के फल स्वरूप बनते हैं। (2) बत्तीस हजार राजाओं के अधिपति / (3) सोलह हजार देवों के अधिपति। (2) उनकी माता सात महास्वप्न (4) नव निधान एवं चौदह रत्नों के देखती है। स्वामी / (3) कृष्णवर्णीय /