Book Title: Jain Jivan Shailee
Author(s): Manitprabhsagar, Nilanjanashreeji
Publisher: Jahaj Mandir Prakashan

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Page 340
________________ इसके ध्यान से व्यक्ति कवि बनता 3. मणिपुर चक्र - नाभिकेन्द्र में स्थित मणिपुर चक्र सूर्य के समान प्रकाशित है। इसके ध्यान से स्वर्ण सिद्धि आदि लब्धियाँ प्राप्त होती हैं एवं देव दर्शन सुलभ होते हैं। 4. अनाहत (अनहद) चक्र - रक्तवर्णीय अनाहत चक्र हृदय में स्थित हैं, जिसके ध्यान से निरंजन, निराकर आत्म स्वरूप का दर्शन होता है। 5. विशुद्धि चक्र - धुएँ के समान वर्ण वाले कण्ठ में स्थित इस चक्र को साधने वाला शास्त्र ज्ञाता, योगी- शिरोमणि बनता है। 6. आज्ञा चक्र - दोनों भृकुटियों के मध्य में स्थित श्वेत वर्ण वाले आज्ञा चक्र के ध्यान से मन की चंचलता नष्ट होती है, व्यक्ति युग पुरुष बनता है। 7. सहस्रार चक्र - मस्तिष्क में चोटी के स्थान में स्थित सहस्रार चक्र के ध्यान से व्यक्ति तेजस्वी बनता है।

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