Book Title: Jain Jivan Shailee
Author(s): Manitprabhsagar, Nilanjanashreeji
Publisher: Jahaj Mandir Prakashan

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Page 341
________________ परिशिष्ट पारिभाषिक शब्दकोष 1. अगुरुलघुत्व -जो भारीपन और हल्केपन, दोनों से मुक्त हो। सिद्ध परमात्मा के आठ गुणों __ में से एक गुण / 2. अतिशय - चमत्कार, विशिष्ट, प्रभाव / 3. अध्यवसाय- मन के विचार, परिणाम | 4. अनादि - जिसका प्रारंभ न हो / 5. अनुश्रुति -परम्परा से सुनी जा रही बात। 6. अभक्ष्य - जो पदार्थ खाने योग्य न हो। 7. अभिगम - दर्शनार्थ जाते समय जिन पांच बातों का ध्यान रखा जाये / 8. अमनोज्ञ - अप्रिय, जो मन को अच्छा न लगे / 9. अममत्व - मोह-राग रहित / 10. अरति - संसार के भोग प्राप्त नहीं होने पर या प्राप्त भोग-उपभोग के साधनों का वियोग होने पर दुःख की अनुभूति / 11.अर्जुन - श्वेत वर्ण / 12. अवगाहना-जैन दर्शन में शरीर की ऊँचाई (Height) को अवगाहना कहते है। 13: अविनाभावी- जो तत्त्व जो एक दूसरे के बिना नहीं रहते हो। जैसे जीव तत्त्व के बाहर जीवात्मा (आत्मा) नहीं होती। 14. असंयती- असंयमी / 15. असंख्य - जिसे संख्या में अभिव्यक्त नहीं किया जा सके | 15. आदान - ग्रहण करना / 16. आमलक- आंवला | 17. आश्रव - कर्मों के आने का द्वार | 18. उत्कृष्ट - सर्वाधिक (Maximum) * ***** ***** ** 313 * * * ***

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