________________ समझ का उपयोग...शांति के प्रयोग उ. (1) प्र.552. जीवन में जाने-अनजाने अनेक पाप हो जाते हैं, तो बताईये कि उन अनर्थ पापों से कैसे बचा जा सकता है? (1)सौंदर्य प्रसाधन सामग्री यथा लिपस्टिक, नेल पॉलिश, क्रीम, इत्र इत्यादि के उपयोग से बचना चाहिये। हिंसा से उत्पन्न होने से तथा साढ़े तीन करोड़ रोमों से ली जाने वाली प्राणवायु को अवरूद्ध करने से ये पदार्थ निश्चय ही छोड़ने योग्य हैं। यदि व्यक्ति चेहरे के रंग की बजाय जीवन जीने के ढंग पर एवं आकृति की अपेक्षा प्रकृति (स्व भाव) को सुन्दर बनाने का पुरुषार्थ करे तो प्रेरक, श्रेष्ठ एवं मधुर जिन्दगी जी सकता है। (2)दुकान, मकान में जाले न जम जाये, इस बात का खास ध्यान रखना चाहिये। मकान को सजाने के साथ-साथ मन और चिन्तन को प्रेम, मैत्री और सहृदयता के फूलों से सजाया जाना चाहिये। *** ************ 220 (3)गुलाब, चम्पा, चमेली, मोगरा आदि फूलों को नहीं सूंघना चाहिये क्योंकि उसमें रहने वाले जीव नाक द्वारा मस्तिष्क में प्रवेश करके सिरदर्द आदि के कारण बनते हैं। (4)आने-जाने के मार्ग में गंदगी नहीं __करनी चाहिये। (5) गर्म पानी नहीं परठना (गिराना) ___ चाहिये। (6)फलों के छिलके आदि कचरा यथायोग्य स्थान पर डालना ‘चाहिये। (7)तामसिक, राजसिक एवं गरिष्ठ पदार्थों का अधिकतम परिहार करना चाहिये। (8)दरवाजा, खिडकी आदि खोलने व बंद करने से पूर्व संधि द्वारों की प्रतिलेखना अवश्य करनी चाहिये ताकि जीव हिंसा से बचाव किया . जा सके। (9)बर्तन, गैस-बर्नर आदि का प्रयोग करने से पूर्व उनकी दृष्टि से या पूंजणी से पडिलेहण अवश्य करनी चाहिये। (10) खाली बर्तन, * बाल्टी आदि * *** *