________________ है। पटाखों पर सरस्वती-लक्ष्मी के चित्र, प्र.579.अन्य त्यौहारों के बारे में भी कागज आदि के जलने से ज्ञान नहीं बताईये। चढता है। उ. (1)होली- होली यानि अश्लील अनन्त जीवों को पीड़ा होने से शरीर शब्दों से मुँह को गंदा करने वाला में अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं और विकृत त्यौहार! होली जलाने से इसके साथ पैसों की भी बरबादी होती असंख्य निर्दोष जीव मर जाते हैं। इससे व्यक्ति शिष्टाचार-यश अतः प्रिय आत्मन्! पैसों से पटाखे न खोकर निंदनीय पात्र बनता है एवं खरीदकर उन्हीं पैसों से किसी गरीब परभव में दुर्गति में जाता है। की सहायता करना, बीमार को दवाई धुलेटी खेलने से पानी का अपव्यय देना, गरीब मित्र को उपहार देना, होता है, रंग में मिले केमिकल्स ज्ञान की पुस्तकें देना, स्वयं के लिए शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। अच्छी किताबें खरीद कर ज्ञानार्जन होली सज्जनों एवं धर्मप्रेमियों का उत्सव नहीं है, अब आपको करना, पर पैसों की बरबादी कभी मत सोचना है कि आप सज्जन है या..? करना। (2)विजयादशमी- यह पर्व भीतर में प्र.578. दीपावली की आराधना कैसे करें? रहे दुर्गुण रूपी राक्षस को उ. गुरु महाराज का सानिध्य प्राप्त हो जप-तप की अग्नि में दहन करके तो चतुर्दशी एवं अमावस को गुरुमुख आत्मा को कुंदन की भाँति बनाने से दीपावली का व्याख्यान सुने / की प्रेरणा देता है। यथाशक्ति बेला तप करें। यदि रावण दहन देखने जाते हैं तो अमावस की रात में 6 से 9 तक श्री पंचेन्द्रिय प्राणी की हिंसा का पाप महावीर स्वामी नाथाय नमः की, 9 लगता है। , से 12 तक श्री महावीर स्वामी (3)अप्रेल फुल- अप्रेल फुल यानि केवलज्ञानाय नमः की, 12 से 3 तक असत्य भाषण से अपनी जिह्वा श्री महावीर स्वामी पारंगताय को बदनाम करना। इससे चिंता, नमः की तथा 3 से 6 तक श्री गौतम अपघात, हृदयघात, क्लेश, रोनेस्वामी केवलज्ञानाय नमः, इन सभी पीटने से व्यक्ति के बुरे हालात की 20-20 माला फेरनी चाहिये। उत्पन्न हो जाते हैं। अतः अप्रेल तत्पश्चात् प्रातः गुरुमुख से सप्त फुल मनाना है तो सोचना कि 'मैं स्मरण, भक्तामर, बड़ी शान्ति, गौतम स्वयं के अनन्तगुणों को भूलाकर गुरुरास एवं दादागुरु इकतीसा का संसार के झूठे सुख-प्रलोभन में पाठ-जाप करते हुए नये वर्ष में प्रवेश मूर्ख बनता जा रहा हूँ, अब मुझे करना चाहिये। होश में आ जाना है। * 242 ** ** * ***