Book Title: Jain Jivan Shailee
Author(s): Manitprabhsagar, Nilanjanashreeji
Publisher: Jahaj Mandir Prakashan

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Page 325
________________ मुद्रा-विज्ञान प्र.654. मुद्रा क्यों की जाये? उ.जिस प्रकार ब्रह्माण्ड पांच तत्त्वों से बना हुआ है, उसी प्रकार अपना शरीर भी पांच तत्त्वों से बना हुआ है। ये पाँच महाभूत तत्त्व अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल माने जाते हैं।हमारी पाँचों अंगुलियाँ इन तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करती है। अंगुली के नाम और उनके तत्त्व Thumb - अंगूठा अग्नि - Fire-Sun _Index - तर्जनी वायु - Air-Wind Centre - मध्यमा आकाश-Ether Ring - अनामिका पृथ्वी - Earth Little - कनिष्ठिका जल - Water आकाश मध्यमा /तर्जनी अग्नि कनिष्ठिका अनामिका

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