________________ चाहिये। नासिका से ऊपर एवं . नाभि से नीचे नहीं होनी चाहिये। 3. माला अभिमंत्रित होनी चाहिये एवं जमीन पर नहीं रखनी चाहिये। 4. जब तक एक मणके पर जाप पूरा न हो, तब तक दूसरे मणके का स्पर्श न करें। 5. माला के पूर्ण होने पर मेरू का उल्लंघन न करें, ऊर्जा-प्राप्ति हेतु उसका आँख से स्पर्श करके उलटकर फेरे। 6. परमात्मा एवं देवी-देवता के जाप की माला अलग-अलग होनी चाहिये। समय, स्थान, वस्त्र, आसन से संबंधित अध्याय 'जाप से कटते हैं पाप' नामक अध्याय से समझ लेनी चाहिये। ** * **** 271 *