________________ माला-जाप के प्रयोग प्र.611.जाप प्रक्रिया में किनका आलम्बन लिया जाता है? उ. विविध आलम्बन लिये जाते हैं-आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, हस्तांगुलि, ध्यान इत्यादि। प्र.612.आनुपूर्वी आदि को समझाईये। उ. 1. आनुपूर्वी- क्रमशः जाप करना यथा नमो अरिहंताण, नमो सिद्धाणं इसी प्रकार पढमं हवइ. मंगलम् तक। 2. अनानुपूर्वी- क्रमशः जाप न होकर आगे-पीछे अंकानुसार जाप करना। जहाँ 1 अंक लिखा है, वहाँ नमो अरिहंताणं बोलना, 2 लिखा हैवहाँ नमो सिद्धाणं बोलना। इस प्रकार अंकानुसार जाप करना / 3. पश्चानुपूर्वी- उल्टे क्रम से जाप करना। यथा पढमं हवइ मंगलं, मंगलाणं च सव्वेसिं यावत् नमो अरिहंताणं तक। इसका एक ओर प्रयोग है कि प्रत्येक पद को उल्टा करके बोलना यथा- णं ता हं रिअ मो न (नमो अरिहंताणं का उल्टा)। प्र.613. भिन्न-भिन्न अंगलियों से माला-जाप का क्या प्रभाव होता है? उ. जिस प्रकार केल्कुलेटर के भिन्न-भिन्न बटन दबाने से भिन्न-भिन्न परिणाम आते हैं, उसी प्रकार अलग-अलग अंगुलियों के पोरवे दबाने से अलग-अलग परिणाम आते हैं। 1. अंगुष्ठ जाप- तर्जनी को छोड़कर शेष तीन अंगुलियाँ मिलाकर मध्यमा और अंगुष्ठ से जाप करना। * अग्नि तत्त्व की प्रधानता होने से अंगुष्ठ ऊर्जा का खजाना है। ऊर्जा व पुरूषार्थ का प्रतीक होने से अंगुष्ठ को मोक्ष दातार कहा जाता है। 2. तर्जनी जाप- तर्जनी में वायु तत्त्व की प्रधानता होने से इससे अस्थिरता, चंचलता बढ़ती है। माला-जाप में एकाग्रता की मुख्यता होने से इससे जाप नहीं करनाचाहिये। 3. मध्यमा जापमध्यमा में आकाश तत्त्व की प्रधानता है।