________________ सकते हैं। 3. ध्यान, ध्येय एवं ध्याता पर सम्पूर्ण श्रद्धा जरूरी है। ध्यान मंत्र है, ध्येय मंत्र में प्रतिष्ठित प्रभु, गुरु महाराज है और स्वयं ध्याता है। इन तीनों की समग्रता ही जाप को पूर्ण बनाती है। 4. 'आप जाप किसलिये कर रहे हैं?' इसका उत्तर चित्त में बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिये। 5. भौतिक-सिद्धि हेतु जाप-मंत्र का प्रयोग न करें। यह अलौकिक शक्तियों के द्वार खोलने वाली दिव्य कुंचिका है अतः महान्, सुन्दर एवं सात्विक उद्देश्य का निर्धारण होना चाहिये। 6. जाप करने से पूर्व चिन्ता व तनाव को दूर फेंक दें। योगों की विशुद्धि भी अत्यन्त अनिवार्य है। प्र.608. जाप करते समय ध्यान में रखने योग्य सुझाव दीजिये। उ. 1. वस्त्र एवं वातावरण की शुद्धि होनी चाहिये / शान्त, नीरव, अनुकूल एवं चित्त को प्रफुल्लित करने वाला स्थान हो / ध्यान या जाप के लिये जिस स्थान का चुनाव किया जाये, जरूरी है कि वह स्थान मच्छर, मक्खी, चींटी आदि जीवों के **************** 266 उपद्रव से मुक्त हो, पर्याप्त प्रकाश, शुद्ध वायु से युक्त हो / स्थान अति उष्ण अथवा शीत भी नहीं होना चाहिये। 2. जाप में श्वेत वर्ण का ऊनी आसन उत्तम होता है। 3. जाप के समय मन, वचन एवं काया में किसी प्रकार की विकार अथवा चंचलता न हो। 4. जाप प्रारंभ करने से पूर्व प्रार्थना करें- जगत के सभी जीव सुख और समाधि को प्राप्त हों, सभी का कल्याण हो। 5. जाप में मंत्र उच्चारण की शुद्धि _ 'आवश्यक है। अक्षर कम-ज्यादा न बोले व. उच्चारण में हूस्व-दीर्घ का भी ध्यान रखें। 6. पूर्व, उत्तर दिशा अथवा ईशान ... कोण में जाप करना फलदायी होता है। 7. जाप करते समय नयन बंद रखे अथवा नासिका के अग्रभाग पर एकाग्र करें अथवा तस्वीर, प्रतिमा का आलम्बन लेकर खुले रखें। यह जरूरी है कि मेरूदण्ड और गर्दन एक सीध में रहे। 8. प्रतिदिन निश्चित स्थान एवं समय पर जाप करें। माला, दिशा, ****************