________________ (2)साधु बनना / प्र.474. पर्व तिथि में श्रावक के कर्तव्य (3)पण्डित मरण प्राप्त करना। कौनसे हैं? प्र.471.श्रावक के तीन अलंकार कौनसे हैं? उ. (1) पौषध (2) उपवास (3) दान उ. अलंकार यानि जिससे शोभा होती है। (4)शील (5) तप (6) भाव (7) अहिंसा(1)आवृत्तिमय- जिसे बार-बार पालन (8) जयणा (9) शासन प्रभावना। किया जाये। इसके तीन प्रकार प्र.475.श्रावक को पर्युषण पर्व में क्या करना चाहिये? (1) सुपात्र दान (2) श्रुतज्ञान उ. (1)अमारि प्रवर्तन (अहिंसा)। (3) तप। (2)साधार्मिक वात्सल्य। (2)निवृत्तिमय- जिससे पाप से (3)परस्पर क्षमापना। निवृत्ति (दूरी) हो। इसके तीन (4)अट्ठम तप। प्रकार हैं (5) चैत्यपरिपाटी। (1) सामायिक (2) प्रतिक्रमण प्र.476. चातुर्मासिक कर्तव्यों की जानकारी (3) पौषध / दीजिये। (3)प्रवृत्तिमय- जिसमें क्रिया मुख्य उ. (1)विविध नियम धारण करना। (2)देसावगासिक (3) अतिथि संविभाग प्र.472. श्रावक के प्रतिदिन करने योग्य (4)सामायिक (5) विविध तप कर्तव्य कितने हैं? (6)नूतन अध्ययन (7) स्वाध्याय उ. छह- (1) प्रभु–पूजा (2) गुरू-सेवा (8)जयणा। .. (3) अनुकंपा (4) सुपात्र दान प्र.477.श्रावक कितने प्रकार के कहे गये (5) गुणानुराग (6) आगम श्रवण / प्र.473. श्रावक के नौ रात्रिक कर्तव्य उ. चार प्रकार केकौनसे हैं? (1)माता-पिता के समान - साधु(1)धर्म जागरण (2) सुकृत की साध्वी रूप सन्तान का हितबुद्धि अनुमोदना (3) दुष्कृत की निंदा (4) से संरक्षण-संवर्द्धन करने वाले। प्रतिक्रमण (5) चार शरण का स्वीकार (2)भाई के समान - विपत्ति आने (6) अल्प निद्रा (7) आत्म-चिंतन (8)दीक्षा मनोरथ सेवन (7) सागारी पर सहायक बनने वाले। (3)मित्र के समान - श्रमणवर्ग को अनशन। * *** *** 175 * *** * ***** हो।