________________ कहा के सहयोग से गलाने पर जब रक्त आत्म विकास में अत्यन्त निपुण एवं अवस्था प्राप्त होती है तब सोना शुद्ध, पारगामी होते हैं। जिस प्रकार हरा चमकदार बन जाता है, उसी प्रकार वर्ण कषाय-क्षय में महत्त्वपूर्ण है और आत्मा तपाग्नि में तपकर द रोग मुक्त कषाय-विजय से समता आती है, होकर तेजोमय लाल वर्ण जैसा रूप उसी प्रकार आगम ज्ञान से समता धारण कर लेता है अतः सिद्धों का आती है और समता से रक्त वर्ण कहा गया। ज्ञान-विज्ञान का विकास होने से प्र.99.आचार्य भगवंत का पीत वर्ण क्यों उपाध्याय का हरा वर्ण कहा गया। कहा गया? प्र.101.मुनि भगवंत का वर्ण कृष्ण क्यों उ. 1. वन का राजा केशरी सिंह जब कहा गया? गर्जना करता है, तब समस्त वन्य उ. 1. जिस प्रकार एक व्यक्ति जब युद्ध प्राणी शांत होकर उसकी आज्ञा को भूमि में जाता हैं तब काले वस्त्र धारण करते हैं, उसी प्रकार आचार्य धारण करता है, उसी प्रकार साधु प्रवर जब जिनोक्त सूत्रों की आज्ञा कर्म शत्रु पर विजय प्राप्त करने के फरमाते हैं, तब समस्त श्रोता उनकी लिये संयम की रणस्थली में आज्ञा को शिरोधार्य करते हैं, अतः उपस्थित होता है, अतः उसका केशरी सिंह के वर्णानुरूप आचार्य कृष्ण वर्ण कहा गया है। भगवंत का पीत वर्ण कहा गया। 2. जिस प्रकार काले रंग पर अन्य रंगों 2. आचार्य भगवंत तीर्थंकर की . का प्रभाव नहीं होता, उसी प्रकार अनुपस्थिति में सम्पूर्ण विश्व में साधु पर राग-द्वेष का प्रभाव नहीं स्वोपार्जित ज्ञान-विज्ञान की होनेसे उसका कृष्ण वर्ण कहा गया है। किरणों को प्रसारित करते हैं अतः प्र.102. सम्यज्ञान-दर्शन-चरित्र-तप का इनका तेजोमय पीत वर्ण कहा गया। श्वेत वर्ण क्यों कहा गया? प्र.100. उपाध्याय भगवंत का वर्ण हरा क्यों उ. रत्नत्रयी एवं तप का वर्ण श्वेत कहा कहा गया? गया क्योंकि ये चारों आत्मा के मूल उ. 1. हरा वर्ण आँखों की रोशनी को बढाता है, गुण-धर्म है। धर्म आत्मा का उसी प्रकार उपाध्याय भगवंत विशुद्ध स्वभाव होने से इनका वर्ण आगम, शास्त्र, तत्त्व आदि का भी श्वेत कहा गया। पठन-पाठन करवाते हैं अतः श्रुत प्र.103. तो क्या महाराजश्री! इन श्वेत, रूपी नयन देने के कारण उपाध्याय रक्तादि वर्गों में कोई वैज्ञानिक भगवंत का हरित वर्ण कहा गया। कारण मौजद है? 2. उपाध्याय स्व-पर ज्ञान, ध्यान एवं उ. हाँ! जैन दर्शन का प्रत्येक सूत्र, मंत्र व * *** 33 ****************