________________ प्रात: जागरण विधि / प्र.394.प्रातः जागरण किस प्रकार होता है। लाभदायक है? (5)यह अनुभवगम्य तथ्य है कि ब्रह्म सूर्योदय से एक घण्टा छत्तीस मिनट मुहूर्त का जाप एवं धर्म-क्रिया पूर्व निद्रा का त्याग करना दिवस पर्यन्त की अपेक्षा अधिक चाहिये / यह ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है। आनंददायक होती है। (1)इससे तन स्वस्थ व मन प्रसन्न ब्रह्ममुहूर्त का दो घण्टे का रहता है एवं आत्मा शुद्ध बनती है। अध्ययन दिवस भर के छह घण्टे (2)जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में निद्राधीन के अध्ययन से अधिक होता है एवं रहता है, उसका पुण्य भी सो जाता स्मृति में स्थिर रहता है। है। . प्र.395.प्रातः जागरण के साथ क्या करना शास्त्रों में कहा गया है- 'ब्राह्म- चाहिये? मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षय- उ. आठ बार नवकार मंत्र का श्रद्धा एवं कारिणी। एकाग्रता के साथ स्मरण करना अंग्रेजी में लिखा है चाहिये। उसके बाद दोनों हथेलियों Early to Bed and Early to Rise, को मिलाकर मध्यवर्ती रेखा से जो Is the way to be Healthy, wealthy and wise. अर्द्धचन्द्राकार बनता है, उसमें सिद्ध (3)वैज्ञानिकों ने शोध करने के शिला की यथार्थ कल्पना करनी उपरान्त निष्कर्ष निकाला है कि चाहिये। उसके ऊपर आठ अंगुलियों कम नींद लेने से हृदय रोग की के कुल चौबीस पोरवों में चौबीस संभावनाएँ कम हो जाती हैं। तीर्थंकरों की पावन कल्पना करके (4)प्रातः जागरण से शक्ति, बुद्धि एवं आदिनाथ से महावीर स्वामी पर्यन्त समृद्धि में वृद्धि होती है। इस समय चतुर्विंशति जिनस्तुति स्वरूप प्रकृति मेधा, स्फूर्ति एवं आनंद की लोगस्स का पाठ करना चाहिये / यदि वर्षा करती है। इससे प्राणों में लोगस्स नहीं आता हो तो उन्हें नवस्फूर्ति एवं ताजगी का संचरण .. नामपूर्वक वंदना करते हुए प्रार्थना करें