________________ - a कहते है। इसके चार भेद कहे गये (4)मंद - तीव्र वायु, आंधी, तूफान, हैं-द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय चक्रवात आदि वायुकाय कहलाते हैं | और पंचेन्द्रिय। इनका उदाहरण (5)फल, फूल, छाल, काष्ठ, शाखा, सहित विवेचन पूर्व प्रश्न में किया प्रशाखा, पत्ता, जड, बीज आदि जा चुका है। वनस्पतिकाय कहलाते हैं। (2)स्थावर-एक स्थान से दूसरे स्थान प्र.223. पृथ्वीकाय आदि में कितने जीव पर जो जीव आ-जा नहीं सकते कहे गये हैं? हैं, वे स्थावर कहलाते हैं। उ. पृथ्वी की एक डली में, पानी की एक एकेन्द्रिय स्थावर कहलाते हैं। बूंद में, अग्नि की एक चिंगारी में और प्र.222. स्थावर के पाँच भेदों को स्पष्ट वायु के एक झोंके में इतने (असंख्य) कीजिये। जीव हैं कि उन्हें क्रमशः सूक्ष्म धान्य, उ. (1)स्फटिक, सोना, चांदी, जस्ता, सरसों के दाने, खसखस एवं बड़ वृक्ष लोहा आदि धातुएँ, काला-सफेद के बीज जितने बनाये जाये तो संपूर्ण आदि नमक, विभिन्न पाषाण, एक लाख योजन (तेरह लाख कि. लाल, हरी, भूरी, पीली आदि वर्गों मी.) प्रमाण जम्बूद्वीप में भी नहीं समा वाली मिट्टी , मणि, रतन, चूना, सकते। पारा, अभ्रक आदि पृथ्वीकाय साधारण वनस्पतिकाय (आलू, प्याज, कहलाते हैं। लहसुन, मूली, गाजर, शकरकंद (2)वर्षा, तालाब, समुद्र आदि का आदि) में सुई के नोंक प्रमाण भाग में पानी, ओस, शबनम, ओले आदि अनन्त जीव होते हैं। अप्काय (पानी) कहलाते हैं। यह जानकर बुद्धिमान् एवं मोक्षमार्गी (3)अंगार, ज्वाला, चिंगारी, बांस को इनके उपयोग में विवेक रखना पत्थर आदि के आपस में टकराने चाहिये / अनन्तकाय भक्षण का शास्त्रों से उत्पन्न होने वाली अग्नि में निषेध किया गया है। तेउकाय कहलाते हैं। प्र.224. पृथ्वीकाय आदि का इतना छोटा