________________ (3)भोजन कथा- आहार को अच्छा-बुरा, प्रशंसनीय–निंद्य कहना। उसमें राग अथवा द्वेष करना। प्र.379. जब ये चार कथाएँ त्याज्य हैं, तो कौनसी कथाएँ स्वीकार्य हैं? स्थानांग सूत्र में जिनाज्ञानुसारी के लिये करणीय चार कथाओं का निर्देश किया गया है(1)विक्षेपणी कथा- भोगादि में रहे हुए दोषों को बताने वाली एवं उन्मार्ग से सन्मार्ग पर लाने वाली कथा / (2)आक्षेपणी कथा- मोह और अधर्म ___ से हटाकर धर्म-स्थान की ओर ले जाने वाली कथा / (3)संवेगनी कथा- भोग-सुखों से दूर करने वाली तथा वैराग्य-रस उत्पन्न करके मोक्ष की प्रबल इच्छा जगाने वाली कथा। (4)निर्वेदनी कथा- इहलोक परलोक में पुण्य-पाप के फल बताकर संसार से विरक्त बनाने वाली कथा / *** * 136 *** ** ***