________________ सिद्धान्त वैज्ञानिकता की विभा से ओतप्रोत है। जरूरी है उस विज्ञान को प्रकट किया जाये। हमारे महान् आचार्यों ने हर सूत्र-सिद्धान्त पर गहरा विश्लेषण एवं मनन किया है। उन्हें अनावत्त कर विश्व साहित्य तथा विज्ञान पर महान् उपकार किया है। वे सिद्धान्त जीवन अभ्युदय एवं मानसिक शान्ति में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुए हैं, हो रहे हैं। जैसे रात्रि भोजन का निषेध जीव दया के साथ स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी अत्यन्त उपयोगी है। आज चिकित्सक रात्रि भोजन, तामसिक, अतिभोजन का निषेध करते हैं, जिसे परमात्मा महावीर 2500 वर्ष पूर्व कह चुके हैं। ऐसे अनेकानेक तथ्य हैं जिनके प्रकटीकरण की अनिवार्य आवश्यकता है। इन पांचों वर्गों के संयोजन में विज्ञान की रोशनी भी रही हुई है। 1. हमारे मस्तिष्क तथा पृष्ठरज्जु में धुसर रंग का एक द्रव पदार्थ है, जो कि सम्पूर्ण ज्ञान शक्तियों का संवाहक है।'नमो अरिहंताण' इस परम पद का मस्तिष्क पर श्वेत वर्ण के साथ यदि जाप किया जाये तो ज्ञान तंतुओं को जागृत/विकसित करने वाला द्रव स्रावित होता है। ज्ञान संवाहक ग्रंथियाँ स्वतः सक्रिय होती हैं और अज्ञान आवरण विलीन होते जाते हैं। 2 'नमो सिद्धाणं' का जाप रक्त वर्ण से। **************** 34 यदि भृकुटि पर किया जाये तो तृतीय नेत्र जागृत होता है,पिच्यूटरी ग्लैण्ड (पीयूष ग्रंथि के) स्राव संतुलित होते हैं। आलस्य, प्रमाद और सुस्ती नौ दो ग्यारह हो जाते हैं तथा तन, मन व बुद्धि में नयी स्फूर्ति भर जाती है। 3. 'नमो आयरियाणं' पद के ध्यान से व्यक्ति की प्रवृत्ति, मानसिक स्थिति और आवेग नियन्त्रित होते हैं। इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि इस पद का कण्ठ पर तेजोमय पीत वर्ण के साथ ध्यान करने पर मन, संतुलित, स्थिर, एकाग्र, निश्चित और पवित्र बनता है क्योंकि इससे कण्ठस्थ थाइराइड ग्लैण्ड के स्राव नियमित होते हैं। 4. 'नमो उवज्झायाण पद का हरा रंग है। हरा वर्ण शान्ति खुशहाली, समृद्धि का प्रतीक है और इनका स्थान हृदय है। अतः इस पद का हृदय पर जाप करें तो 'स्वतः स्वस्थता, शान्ति एवं आनंद से परिपूर्ण स्थिति बन जाती है। 5. पंचम पद का वर्ण है-काला। काला रंग बाह्य प्रभावों को रोकता है इसलिये छाता व न्यायाधीश एवं वकील का काला कोट होता है। इस पद का नाभि पर ध्यान करने पर राग-द्वेष के प्रभाव दूर हो जाते ****************