________________ पंच परमेष्ठी के रंगों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्र.95.जैन ध्वज में कितने रंग होते हैं? अमल गुण प्रकट होने से अरिहन्त उ. पांच रंग- 1. श्वेत. 2. रक्त 3. पीत परमात्मा का श्वेत वर्ण कहा गया 4. हरा 5. काला। है। प्र.96. उपरोक्त पांच रंग किसके प्रतीक हैं? 5. चारों घाती कर्मों का सर्वथा क्षय होने उ. ये पांच रंग पंचपरमेष्ठी के प्रतीक हैं - से विश्व के समस्त चराचर, सूक्ष्म1.श्वेत वर्ण अरिहंत परमात्मा का स्थूल पदार्थों को हस्त आमलकवत् प्रतीक है। जानते हैं और स्फटिक की भांति 2.रक्त वर्ण सिद्ध परमात्मा का प्रतीक है। पारदर्शी, पवित्र एवं विशुद्ध परिणति को प्राप्त होने से अरिहंत का श्वेत 3.पीत वर्णआचार्यभगवंत का प्रतीक है। वर्ण कहा गया। 4.हरित वर्ण उपाध्याय भगवंत का प्रतीक है।। __ प्र.98.सिद्ध परमात्मा का रक्त वर्ण क्यों 5. कृष्ण वर्ण मुनि भगवंत का प्रतीक है। कहा गया? प्र.97. अरिहंत परमात्मा का वर्ण श्वेत क्यों / / खत क्या उ. 1. जो व्यक्ति परम स्वस्थ एंव रोग कहा गया? . रहित होता है, उसकी काया उ. 1. अरिहंत परमात्मा का ध्यान शुक्ल रक्तवर्णीय चमकदार प्रतीत होती है, होता है। उसी प्रकार सिद्ध परमात्मा अष्ट 2. वृषभ (बैल) का वर्ण श्वेत होता है कर्म रूपी रोग से मुक्त होकर परम और उसके द्वारा भूमि में धान्य का निरामय-निरोगी अवस्था को प्राप्त वपन होता है। उसी प्रकार हो चुके हैं, अतः सिद्ध परमात्मा का परमात्मा देशना के द्वारा भव्य वर्ण रक्त कहा गया। जीवात्माओं में सम्यक्त्व/संयम . 2. वशीकरण की साधना में व्यक्ति रूपी बीजारोपण करते हैं। रक्तवर्णीय वस्त्र, आसन, माला 3. अरिहंत परमात्मा का रक्त श्वेत आदि उपकरणों का उपयोग करता वर्णीय होता है। है, उसी प्रकार सिद्ध परमात्मा ने 4. कषाय, काम, अज्ञान आदि अठारह मिथ्यात्व, कषाय आदि समस्त कर्म पाप स्थानों के पाप-मल से सर्वथा शत्रुओं को वश में कर लिया है। शुद्ध उनकी आत्मा में केवलज्ञान, 3. जैसे अशुद्ध स्वर्ण में विविध द्रव्य यथाख्यात चारित्र आदि निर्मल, __ मिश्रित करके अग्नि में सुहागे आदि