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( अकाल मृत्यु तो तब शायद पास भी न फटकेगी 1), पुत्रप्राप्ति की
इच्छा हो तो पाँच जनेऊ डाल लेने चाहियें - पुत्र की प्राप्ति हो जायगीऔर धर्म लाम की इच्छा हो तोमी पाँच ही जनेऊ कण्ठ में धारण करने चाहियें, तभी धर्म का नाम हो सकेगा अथवा उसका होना अनिवार्य होगा | एक जनेऊ पहन कर यदि कोई धर्म कार्य - जप, तप, होम, दान, पूजा, स्वाध्याय, स्तुति पाठादिक किया जायगा तो वह सब निष्फल होगा, एक जनेऊ में किसी भी धर्म कार्य की सिद्धि नहीं हो सकती ।' यथा:---.
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आयुःकामः सदा कुर्यात् द्वित्रियशेोपवीतकम् । पंचमिः पुत्रकामः स्याद् धर्मकामस्तथैव च ॥ २७ ॥ यशोपवीतेनैकेन अपहोमादिकं छतम् । तत्व विलयं याति धर्मकार्य न सिद्धयति ॥ १८ ॥
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पाठकनन ! देखा, जनेऊ की कैसी धानीव करामात का उल्लेख किया गया है और उसकी संख्यावृद्धि के द्वारा आयु की वृद्धि आदि का कैसा सुगम तथा सस्ता उपाय बतलाया गया है !! * मुझे इस
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* और भी कुछ स्थानों पर ऐसे ही विलक्षण उपायों का करा. माती नुसत्रों का विधान किया गया है; जैसे ( १ ) पूर्व की ओर मुँह करके भोजन करने से आयु के बढ़ने का, पश्चिम की तरफ़ मुँह करके खाने से धन की प्राप्ति होने का और ( २ ) काँसी के चरतन मैं भोजन करने से श्रायुर्बलादिक की वृद्धि का विधान ! इसी तरह (३) दीपक का सुख पूर्व की ओर कर देने से आयु के बढ़ने का, उत्तर की ओर कर देने से धन की बढ़वारी का, पश्चिम की ओर कर देने से दुःखों की उत्पत्ति का तथा दक्षिण की ओर कर देने से हानि के पहुँचने का और सूर्यास्त से सूर्योदय पर्यन्त घर में दीपक के जलते रहने