Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जोवतत्त्वप्रदीपिका सत्यसंक्रमणभागहारं सर्वतः स्तोकमदक्के प्रमाणमेकरूपमक्कु। १ ।तु मत्त मदं नोडलुमसंख्यातगुणमप्प पल्यच्छेदासंख्यातेकभागं गुणसंक्रमभागहारप्रमाणमक्कु छ
aaaa मदं नोडलपकर्षणोत्कर्षणभागहारमसंख्यातगुणितमागुत्तळं पल्यच्छेदाऽसंख्यातेकभागमात्रमेयक्कु छे मदं नोडलु :aaa
हारं अधापवत्तं तत्तो जोगंमि जो दु गुणगारो ।
णाणागुणहाणिसला असंखगुणिदक्कमा होति ॥४३१॥ हारोऽधाप्रवृत्तस्ततो योगे यस्तु गुणकारो नानागुणहानिशलाका असंख्यगुणितकमा भवंति ॥
आ उत्कर्षणापकर्षणभागहारमं नोडलयाप्रवृतसंक्रमभागहारमसंख्यातगुणितमागुत्तछं पल्यच्छेदासंख्यातेकभागप्रमाणमयक्कु छ ततः अदं नोडलं योगदोळाउदोदु गुणकारमदुवुम- १०
aa संख्यातगुणितमागुत्तलु पल्यच्छेदाऽसंख्यातेक भागमयक्कु छे तु मत्तदं नोडलु स्थितिय नानागुणहानिशलाकेगळुमसंख्यातगुणितंगळागुतळं पल्यवर्गशलाकाद्धच्छेदराशिविरहितपल्याच्छेदराशिप्रमितंगळप्पुवु । छ व छे ॥
सर्वसंक्रमणभागहारः सर्वतः स्तोकस्तस्य प्रमाणमेकरूपं १ । तु-पुनः ततोऽसंख्यातगुणः पल्यच्छेदासंख्याकभागो गणसंक्रमणभागहारः छे ततोऽपकर्षणोत्कर्षणभागहारावसंख्यातगुणावपि प्रत्येक पल्यच्छेदासंख्या- ५
aaaa तकभागः छे ततः अधःप्रवृत्तसंक्रमभागहारोऽसंख्यातगुणितोऽपि पल्यच्छेदासंख्यातकभागः छे ततो योगे მმმ
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सर्वसंक्रमण भागहार सबसे थोड़ा है। अतः उसका प्रमाण एक है। आशय यह है कि अन्तकी फालिमें जितने परमाणु शेष रहे थे; उनमें इस भागहारके प्रमाण एकसे भाग देनेपर सर्व ही परमाणु आये। वे सब अन्य प्रकृतिरूप परिणमे तो उसे सर्वसंक्रमण जानना । उससे असंख्यातगुणा गुणसंक्रमण भागहारं है, जिसका प्रमाण पल्यके अर्धच्छेदोंके २० असंख्यातवें भाग है । सो गुणसंक्रमण रूप प्रकृतियों के परमाणुओंमें इस भागहारके प्रमाणसे भाग देनेपर जो परिमाण आवे उतने परमाणु यथायोग्य काल में प्रतिसमय असंख्यात गुणे होकर अन्य प्रकृतिरूप परिणमन जब करें तो वह गुण संक्रमण है। उससे उत्कर्षण भागहार
और अपकर्षण भागहार असंख्यात गुणे हैं। तथापि ये दोनों पृथक्-पृथक् पल्यके अर्धच्छेदोंके असंख्यातवें भाग प्रमाण है । यद्यपि इन पाँच भागहारोंमें इनका कथन नहीं है तथापि जहाँ २५ उत्कषण भागहार या अपकर्षण भागहारका कथन आवे वहाँ ऐसा जानना । इनसे अधःप्रवृत्त संक्रमण भागहार असंख्यात गुणा है तथापि वह भी पल्यके अर्धच्छेदोंके असंख्यातवें
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