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सन्धान-महाकाव्य : इतिहास एवं परम्परा
महाकाव्य का उद्भव और विकास
महाकाव्य विकास की प्रारम्भिक पृष्ठभूमि लोकगीतों अथवा मौखिक अनुश्रुतियों के रूप में संरक्षित रही है । इस अवस्था में उसमें निरन्तर परिवर्तन होते रहे हैं । इन परिवर्तनों अर्थात् विकास के क्रम को जानने के लिये महाकाव्य की निम्नलिखित पूर्वावस्थाओं की सम्भावना की गयी है' -
(१) सामूहिक नृत्य - गीत ( Choral Music and Dance ) (२) आख्यानक नृत्य-गीत (Ballad Dance)
(३) लोक-गाथा (Laze and Ballads)
(४) गाथा-चक्र (Cycle of Ballads) (१) सामूहिक नृत्य-गीत ( Choral Music and Dance)
आदिम अवस्था में कबीले अपनी प्रसन्नता, उत्साह, शोक तथा धार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति सामूहिक रूप में करते थे । यह भावाभिव्यक्ति सामूहिक नृत्य-गीत के रूप में होती थी ।२ आज भी आदिम जातियों में इस प्रकार के सामूहिक नृत्य-गीत की प्रथा प्रचलित है । स्काटलैण्ड और फ्रान्स में सामूहिक नृत्य-गीत को पहले “कैरोल" कहा जाता था । ३ इटली में उसका नाम 'बैलारे' था । ४ बैलेड का मूल स्रोत यह 'बैलारे' ही है ।' भारत के मिर्जापुर जिले में आदिवासियों के ‘करमा' और ‘शैला' नृत्य 'सामूहिक नृत्य गीत' ही हैं ।
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डॉ. शम्भूनाथ सिंह: हिन्दी महाकाव्य का स्वरूप- विकास, वाराणसी, १९६२, पृ.४ Gummere, F.B. : A Handbook of Poetics, p. 9
"The fashion of dancing and singing caroles on the Saints, vigils (wake - nights) is proved by many pieces of evidence.” Ker, W. P. : Form and Style in Poetry (Ed. Chambers, R.W.), London, 1966, p. 10.
विशेष द्रष्टव्य - The Funk and Wagnalls Standard Dictionary of Folklore, Mythology and Legend, Vol. I, New York, 1949, pp. 193-95.
"The names ballad, ballade, ballet are derived from the late Latin and Italian "ballare-to dance", Shipley, Joseph T. : Dictionary of world Literary Terms, Boston, 1970, p. 25. ५. Encyclopaedia Britannica, Vol. 2, p.645.