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भावकुतूहलम्- [रिष्टभङ्गःजालको साक्षात् शमित करदेता है, जैसे मुरदैत्यक मारनेहारे श्रीभगवानका नामकीर्तन पापसमूहको शमित करता है ॥२॥
यदि सकलनभोगवीक्ष्यमाणो लसिततनुर्जनुरिन्दुरेव सद्यः॥दिविचरजनितं निहन्ति दोषं खगपतिराशु यथा भुजङ्गजालम् ॥ ३॥ यदि जन्ममें चंद्रमा पूर्णमूर्ति हो तथा उसे सभी ग्रह देखें तो यही एक ग्रह ग्रहोंसे उत्पन्न (दोष) आरिष्टको तत्कालही नाश करदेता है जैसे सर्प (जाल ) समूहको गरुड शीघ्र नाश करता है ॥३॥
भवति यदि तनोःक्षपाकरोऽयं मृतिभवने शुभखेटवर्गगश्चेत् ॥ गदविकलतनुं पितेव बालं किल परितः परिरक्षति प्रसन्नः॥४॥ यदि चंद्रमा लग्नसे अष्टम स्थानमें शुभग्रहके (वर्ग) राशि अंशादियोंमें हो तो समस्त आरिष्टोंसे बचाताहै जैसे रोगीबालकको उसका पिता सर्वतः रक्षा करता है ॥४॥ .
शुभभवनगतस्तदीयभागेजनिसमये कविनाऽवलोकितश्चेत् ॥ शमयति सकलं शशी त्वरिष्टं जलमिव पावकमङ्गिनामतीव ॥५॥ यदि चंद्रमा जन्मसमयमें शुभग्रहके राशिमें एवं अंशकमें हो वा शुक्र उसे देखे तो समस्त अरिष्टोकों शमित करता है जैसे जल अग्निको शमित करदेताहै ॥५॥ बलवानपि केन्द्रगो विशेषादिह सौम्यो यदिलाभगो दिनेशः॥शमयत्यखिलामरिष्टमालामपि गाङ्गं हि जलं यथाघजालम् ॥६॥
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