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भावकुतूहलम् -
[ स्त्रीसामुद्रिक:
करतले गजवाजिवृषाकृतिः कृतिविदामबला किल कोविदा | भवति सौधसमा यदि सुभ्रुवः शशिनिभाऽतिशुभा किल रेखिका ॥ ६० ॥ जिस स्त्रीकी हाथ की हथेली में हाथी घोडा बैलका चिह्न हो वह चतुर एवं किये कामकी परीक्षा करनेवाली अर्थात् कदरदान और पंडिता होवे. जिस सुंदर भ्रुकुटीवाली स्त्रीके हाथमें चूनेवाले पक्के मकानके समान चिह्न हो अथवा चंद्रमा के समान रेखा हो तो वह अति शुभफल देती है. गुणवती भाग्यवती करती है ॥ ६० ॥ भवति सा विमलांकुशचामरामलशरासनवद्यदि रेखिका । गुणविभूषितभूपतिवल्लभा करतले शकटेन विशोऽबला ॥ ६१ ॥
जिस स्त्रीके हाथमें निर्मल अंकुश, चामर तथा निर्मल बाणके आकारका चिह्न हो वह शुभगुणोंसे शोभायमान, राजरानी होवे अर्थात् उसका पति राजा वा राजतुल्य होवे । यदि हाथ में ( शकट) गाडीके आकारकी रेखा हो तो उसका पति वैश्य यद्वा व्यापारी होवै ॥ ६१ ॥
अंगुष्ठमूलतो रेखा कनिष्ठां यदि गच्छति ॥ यस्याः सा पतिहंत्री तां दूरतः परिवर्जयेत् ॥६२॥ जिस स्त्रीके अँगूठेकी जडसे ( कनिष्ठा) छोटी अंगुलीके मूल पर्यंत रेखा पहुँची हो तो वह अवश्य अपने पतिको मारनेवाली होती है ऐसी स्त्रीको दूरहीसे वर्जित करना ॥ ६२ ॥
यदि करे करवालगदामल प्रखर कुंत मृदंग कुरंगवत् ॥ भवति शूलनिभा खल रोखका भुवि सदा धनदा प्रमदा तदा ॥ ६३ ॥
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