Book Title: Bhavkutuhalam
Author(s): Jivnath Shambhunath Maithil
Publisher: Gangavishnu Shreekrushnadas

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Page 176
________________ । षोडशः १६ ] भाषाटीकासमेतम् । (१६७) _ व्ययेशदशाफलम् । वित्तक्षतिरवनीशादाधिव्याधिय॑येशपरिपाके ॥ कष्टं मृत्युसमानं भवति कुयानं कुसङ्गसंयोगः॥२०॥ व्ययेशकी दशामें राजासे धनका क्षय होता है. मानसी चिन्ता, रोग होते हैं. मृत्युके समान कष्ट मिलता है. भैंसा, गदहा आदि निषिद्ध सवारी मिलती हैं और कुसङ्गियोंकी सङ्गति होती है॥२०॥ . सप्तमेशदशाफलम् । । जायापतिपरिपाके रोगज्वाला हदि स्थिता भवति ॥ रिपुजनजनिता बाधा वित्तविनाशा नरेशभीतिश्च २१ सप्तमेशकी दशामें रोगकी ज्वाला हृदयमें स्थिर रहती है, शउसे. उत्पन्न बाधा (दुःख) रहता है.धनका नाश,राजाका भय होता है२१ ___ अस्तङ्गतग्रहदशाफलम् । दशाधीशे वास्तं गतवति विरोध बलवता सदा रोगागारं हृदयकुहरे वाथ जठरे ॥ अरेराधिव्याधिव्यसनमुत मानक्षतिरथो विरामो वित्तानामवनिपतिकोपेन भविनाम् ॥२२॥ दशापति ग्रह अस्तङ्गत हो तो अपनेसे बलवान् मनुष्यके साथ विरोध होवे, सर्वरोगका मकानही मनुष्यके हृदयमें यदा पेटमें बनारहे। शत्रुसे चिन्ता, रोग, व्यसन और मानक्षय होवे। राजाके कोपसे धनका नाश होवे ॥२२॥ . चन्द्रबलानुसारेणग्रहदशाफलम् । दशाप्रवेशे सबलः शशाङ्को दशाफलं शस्तमतीव जन्तोः ॥ अतोऽन्यथा चेद्विपरीतमाय्यॆरुदीरितं चन्द्रबलानुमानात् ॥२३॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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