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भावकुतूहलम्- [स्त्रीसामुद्रिक:जिन नम्रभुकुटीवाली स्त्रियोंका मस्तक (माथा) तीन अंगुल प्रमाण ऊंचा हो, कोमल हो और अर्द्धचंद्रमाके आकारका हो तो वह सौभाग्य, नीरोगिता आदि सौख्य बढानेवाला होता है ॥१०॥
व्यक्तस्वस्तिकरेखयाकुलमलं नार्या ललाटस्थलं सौभाग्यामलभोग्यकृत्तदलिकं लंबायमानं यदि ॥ अद्धा देवरमाशु हंति नितरां रोमाकुलं रोगदं रेखाहीनमनंगभंगजनकं ज्ञेय बुधैः सर्वदा ॥१०२॥ जिस स्त्रीके ललाटमें ( माथेमें (स्वस्तिक चिह्न प्रगट हो अथवा बहुत स्वस्तिक हों तो वह स्त्री सौभाग्ययुक्त, उत्तम निर्मल भोग युक्त रहती है, यदि वही चिह्न लंबा यदा लटकतासा हो तो वह स्त्री साक्षात् देवरका नाश करती है यदि मस्तक रोमोंसे भरा हो तो रोगी रहै यदि रेखाओंसे रहित हो तो कामदेवसंबंधी भंगता पंडिताने सर्वदा जाननी ॥ १०२ ॥
करिपुंगवकुम्भसमान उत प्रवरोन्नत एव कदंब निभः ॥ इह मौलिरजस्रामिला विमला विविधा बहुधान्ययुता सुदृशः॥ १०३॥ जिन सुनेत्रा स्त्रियोंका माथा श्रेष्ठ हाथीके गंडस्थलके समान अथवा क्रमसे ऊंचा कदंबसदृश हो तो उनको निर्मल अनेक प्रकारके धान्ययुक्त पृथ्वी मिले ॥ १०३ ॥
पीनमौलिरतिमानहारिका दारिका कुजनसंगका रिका । लम्बमौलिरपि सर्वनाशिका बन्धका निजकुलान्तकारिका ॥ १०४॥ जिस कन्याका माथा (ऊंचा) चूह्रीसदृश पैना हो वह अपने मानको खोवै, दुष्टजनोंकी संगति करे जिसका माथा लंबा हो वह
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