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भावकुतूहलम्- [स्त्रीसामुद्रिक:जिस स्त्रीने पार्वतीजीक तप न किया, अथवा विष्णुका भले प्रकार आराधेन नहीं किया, सूर्यका व्रत न किया,तीर्थोंमें न फिरी; ब्राह्मणोंको धन नहीं दिया, गुरुका कुल तृप्त नहीं किया, वह इस संसारमें (दीना) दुःखदारिद्ययुक्त दुर्लक्षणों सहित होती है।१२२॥
सुरेखाफलम् । यतः सुलक्षणीरेखा योषा हीनायुषं पतिम् ॥ दीर्घायुषं सुचरितैः प्रकरोति सुखास्पदम् ॥१२३॥ जिससे कि, सुलक्षण रेखाओंवाली स्त्रीका पति अल्पायुभी हो तो यह अपने शुभलक्षणोंके प्रभावसे एवं अपने सुचरित्रोंसे उसे दीर्घायु तथा सुखका स्थान करदेती है ॥ १२३ ॥
कुलक्षणाफलम् । दीर्घायुषं पति हन्ति कुयोगैश्च कुलक्षणैः ॥ अतः सुलक्षणा कन्या परिणेया विचक्षणैः ॥१२४॥ जिस स्त्रीके कुयोग एवं कुलक्षण (उक्त लक्षणोंमेंसे ) होते हैं वे दीर्घायु पतिकोभी नाश करके विधवा होती है, तस्मात् जाननेवालोंने सुलक्षणा कन्यासे विवाह करना दुर्लक्षणासे नहीं करना १२४
___ कुलक्षणशान्त्युपायः। कुलक्षणविलक्षिता यदि सुताऽत्र संजायते श्रुतिस्मृतिपथानया परमसोमवारव्रतम् ॥ विधाय तदनन्तरं रहसि कारयित्वाऽच्युत
द्रुमेण हरिणा कृतीशुभघटेन पाणिग्रहम् ॥१२५॥ जिसके घरमें कुलक्षणोंसे युक्ता कन्या उत्पन्न होवै उसने वेद तथा धर्मशास्त्र के अनुसार सोमवारका उत्तम व्रत कन्यासे करावना इसके उपरांत एकांतमें अच्युतद्रुम (पीपल) वा विष्णुप्रतिमा या घटके साथ विवाहावीधसे विवाह करना ॥ १२५ ॥
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