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(१६४) भावकुतूहलम्
[ दशाफलम्ग्राम, भूमि नवीन मकान, चंद्रमुखी (सुरूपा) स्त्री इतनी वस्तुओंका विशेषतः लाभ होता है, सजनोंका संग कामदेवकी वृद्धि, ऊंचे हाथीकी सवारीका सुख मिलता है, संतानवृद्धि, यशकी. वृद्धि और सब कार्यमें सिद्धि होती है ॥११॥
अथ केतुदशाफलम् । मनस्तापं तापं निजजनविवादं खलकृतं सदा चन्द्रारातेरुदरभवरोगं वितनुते ॥ दशा पुंसामारादनुगतिमपायं निजमतेः कृशत्वं वित्तानामवनिपतिकोपेन परितः ॥ १२॥ केतुकी दशामें मनुष्योंके मनमें संताप, ज्वर, अपने मनुष्योंमें (विवाद) कलह) होवे, दुष्टजनोंसे मुकाबिला होवे, पेटमें रोग उत्पन्न करताहै, शीघ्रही शीघ्रगमन, भ्रमण होते हैं, अपनी ही बुद्धिसे धनादियोंका नाश होवे, शरीरमें कृशता आवे, सर्वप्रकार राजाके कोपसे धनका क्षय होवे, ॥ १२॥
अथ शुक्रदशाफलम् । तुल्यत्वं धरणीधवेन महता मित्राज्जयो जन्मिनां मारोल्लासविकास एव कमलालावण्ययुक्तं गृहम्॥ दिव्यारामसुधामसामबहुला व्याख्यानगानध्वनिः
प्रज्ञासौख्यमतीव पाकसमय शाला विशाला कवेः ..'शुक्रकी दशामें मनुष्योंको बडे राजाकी तुल्यता मिलती है, मित्रसे जय (जीत) भलाई होती है, कामक्रीडाका उत्सव, विलास हासमें आनंद होता है,घरमें लक्ष्मी,कोमल स्त्रीका वास होवे, उत्तम बागबगीचा,उत्तम मकान आदि बहुत होते हैं, शास्त्रोंका व्याख्यान, मायनका शब्द, बुद्धिकी कुशलता आदियोंका बहुत सुख होता है. तथा बडे बडे घर बनते हैं ॥ १३ ॥
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