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(११८) भावकुतूहलम्- [ग्रहावस्थाफलम्
नृत्यलिप्सागते चन्द्रजे मानवो मानयानप्रवालव्रजैः संयुतः॥मित्रपुत्रप्रतापैः सभापण्डितः पापभे वारवामारतौ लम्पटः॥९॥ जिसके जन्मसमयमें बुध नृत्यलिप्सा अवस्थामें हो वह मनुष्य (मान) इज्जत, सवारी, मूंगा आदि रत्नसमूहसे युक्त रहे. तथा मित्र पुत्र संयुक्त रहे, प्रतापवान होवे, सभामें (पंडित) चतुर होवे (यदि पाप राशि) में हो तो वारांगना (पतुरिया) के साथ रतिक्रीडामें लंपट (व्यसनी) होवे ॥९॥
कौतुके चन्द्रजे जन्मकाले नृणामङ्गभे गीतविद्यानवद्या भवेत् ॥ सप्तमे नैधने वारवध्वा रतिः पुण्यभे पुण्ययुक्ता जनिः सद्गतिः॥ १०॥ जिन मनुष्योंके जन्मकालमें बुध कौतुकावस्थामें लगका हो उनको प्रशंसा करने योग्य गायनविद्या आवे । यदि उक्त बुध ७८ भावमें हो तो वारांगनासे प्रीति होवे, नवमभाव में हो तो सारा जन्म पुण्य करते बीते, अंतमें सद्गति (मुक्ति ) होवे ॥ १० ॥ निद्राश्रिते चन्द्रसुते न निद्रासुखं सदाव्याधिसमाधियोगः॥ सहोत्थवैकल्यमनल्पतापो निजेन वादो धनमाननाशः ॥ ११॥ बुध निद्रावस्थामें हो तो निद्राका सुख न पावै और सर्वदा शारीरिक तथा मानसिक व्यथासे युक्त रहे, भ्रातृपक्षसे विकलता (चिंता) रहे, बडा संताप रहे, अपने मनुष्योंसे कलह होतारहै, धन एवं मानका नाश होवे ॥ ११॥
अथ गुरोरवस्थाफलम् । वचसामधिपे तु जनुःसमये शयने बलवानपि
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