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(५४) भावकुतूहलम्- [स्त्रीजातकमवृषे राकानाथे भवति मदने जन्मसमये भवेदेषा योषा विमलवसना चारुवदना ॥ विनम्रा मुक्तालीवलितकुचभारेण नितरां परालीलालक्ष्मीरतिपतिरमेव क्षितितले ॥१२॥ जिसके जन्ममें सप्तमभावमें चंद्रमा वृषका हो वह स्त्री निर्मलवस्त्र पहननेवाली, सुहावने (मुख ) वदनवाली, नम्रमुखी, मोतियोंकी मालासे शोभित स्तनभारसे नम्र, परम लीला करनेवाली होवे और पृथ्वी में सबसे सुंदर ऐसी होवै जैसी कामदेवकी स्त्री रति है अथवा लक्ष्मीके समान ॥ १२ अङ्गारके मदनमन्दिरमिन्दुभावं मन्दान्विते हारभगे जननेऽङ्गनायाः॥ वैधव्यमेव नियतं कपटप्रबन्धाद्वाराडना भवति सैव वराड़नापि ॥ १३॥
जन्ममें स्त्रीका मंगल विशेषसे कर्कका हो अथवा मंगल शनि सहित सिंहका सप्तम हो तो निश्चय वैधव्य पावै तथा कपटके प्रबंध करे (व्यभिचारिणी) वेश्या हो यदि यह स्त्री धर्मकर्मसे तथा कुलसे श्रेष्ठभी हो तोभी वेश्याही होवे ॥ १३॥
अनेकस्त्रीभर्ता भवति मखकर्ता च मदने बुधे तुङ्गे यस्या जनुषि खलु तस्याः पतिरिह ॥ स्वयं वामा कामाकुलितहृदया मोदकलया परीता मुक्तालीरजतकनकालीमणिगणैः ॥ १४॥ जिस स्त्रीके जन्ममें कन्याका बुध सप्तममें हो उसका भर्ता अनेक स्त्रियोंका स्वामी होवे और यज्ञ करनेवाला होवे तथा आप वह स्त्री कामदेवसे व्याकुलित हृदय रहे कामकलामें तत्पर रहे और मोतियोंकी माला, सोने, चांदी, मणिरत्नोंसे भरी रहै ॥ १४॥ ....
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