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दशमः १० ] भाषाटीकासमेतम् ।
६९) जिसके (गुल्फ) घुटनोंके नीचे (निर्मास ) माडे हों तो वह स्त्री दुर्भगा होवै यदि उक्तस्थान ( गूढ ) स्थूल, पुष्ट हों (अशिरा) नसोंसे रहित हों एवं वर्तुल हों तो सुभगा होवै ॥ १५॥
अगूढौ शिथिलौ यस्यास्तस्या दौर्भाग्यसूचकौ ॥ गुल्फलक्षणमाख्यातं पार्णिलक्षणमुच्यते ॥ १६ ॥ जिस स्त्रीके गुल्फस्थान शिथिल एवं (अगूढ) ढीले हों वह दुर्भगा होवे इतने गुल्फलक्षण कहे गये, अब (पाणि) एंडीके लक्षण कहेजाते हैं ॥१६॥
पाणिलक्षणम् । समानपाणिः सुभगा पृथुपाणिश्च दुर्भगा॥ कुलटा तुङ्गपाणिश्च दीर्घपाणिगंदाकुला ॥ १७ ॥ जिसके (पाणि) एंडी समान हों तो वह सौभाग्यवती होवे, पाणि मोटे हों तो दुर्भगा होवे, जो पाणि ऊँचे हों तोव्यभिचारिणी और लंबी पाणिसे नित्य रोगसे आकुल रहे ॥ १७॥
जङ्घालक्षण। जंघे रंभोपमे यस्या रोमहीने च वर्तुले । मांसले च समे स्निग्धे राज्ञी सा भवति ध्रुवम् ॥१८॥ जिस स्त्रीके जंघा कदलीस्तंभके समान हों तथा रोमरहित (वर्तुल) गोलाकार सरल, मोटी,समान और चिकनी हो तो राजरानी होवे १८॥
एकरोमा प्रिया राज्ञो द्विरोमा सौख्यभागिनी ॥ त्रिरोमा विधवा ज्ञेया रोमकूपेषु कामिनी ॥ १९॥ जिसके जंघाओंके (रोमकूप) रोमोंके जडपर एक एक रोम हों तो वह राजाकी प्रिया, ऐश्वर्यवती होवै, दोदो हों तो सुख भोगनेवाली और तीनसे विधवा जाननी ॥ १९॥
रोमकूपलक्षणम् ।
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