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भारत की खोज
लग गए, एक इंच आगे बढ़ना नहीं हुआ क्योंकि वह कुछ भी सिद्ध करने में समर्थ नहीं थे, और मैंने कहा, 'सिद्ध नहीं कर सकते हैं तो लौजिक की क्लास बंद कर दे नी चाहिए। कहना चाहिए कि कुछ सिद्ध हो नहीं सकता इसलिए लौजिक वेईमानी है
आखिर उन्होंने इस्तीफा लिखकर दे दिया। या तो मैं पढू या वह पढ़ाएं दो में से एक ही काम हो सकता है। मझे उस यनिवर्सिटी से निकल जाना पडा। क्योंकि यनिवर्सि टी उन पुराने शिक्षकों को निकालने को राजी नहीं है। मैंने वाईसचांसलर को कहा, तुम्हारा यह विश्वविद्यालय कभी भी वैज्ञानिक शिक्षा का गढ़ नहीं बन सकता। अन्यथ [ अवैज्ञानिक शिक्षा का गढ़ रहे । क्योंकि तुम एक ज्यादती की बात कर रहे हो।' त कशास्त्र का शिक्षक कहता है कि तर्क नहीं किया जा सकता। तो फिर मुश्किल हो गई। तो फिर धर्मशास्त्र का शिक्षक कैसे तर्क करने देगा। तर्कशास्त्र का शिक्षक यह कहता है कि, 'आरगयू मत कहो! हम जो कहते हैं जो ि कताब में लिखा है वह मानो।' अरस्तु ने जो कहा है दो हजार साल पहले वह सच, अरस्तु को मरे दो हजार साल पहले वह सच है। अरस्तु को मरे दो हजार साल हो गए। अरस्तु की बहुत सी ना समझीयां जाहिर हो गई। अरस्तु बहुत से मामलों में इतना कम जानता था जितना हमारा प्राईमरी स्कूल का बच्चा ज्यादा जानता है। ले कन वह दो हजार वर्ष पुरानी किताब लेकर बैठे हैं कि अरस्तु ने जो लिखा है वह त र्क के अंतिम नियम हो गए। तो फिर अरस्तु के साथ दुनिया को मर जाना चाहिए था आगे जिंदा रहने की कोई जरूरत नहीं रह गई। और अरस्तु ने जो लिखा है हम सोचें ठीक हो माने ना ठीक हो ना माने। अरस्तु की
दो औरतें थीं। लेकिन अरस्तु ने अपनी किताव में लिखा है कि पुरुषों के दांत स्त्रिय में से ज्यादा होते हैं। यूनान में भी अफवाह थी कि स्त्रियों के दांत कम होते हैं, अस ल में पुरुष मानने को को राजी नहीं होता कि स्त्रियों में कुछ भी पुरुष से ज्यादा हो सकता है। दांत भी ज्यादा कैसे हो सकते हैं। स्त्रियों में दांत कम होने ही चाहिए। और स्त्रियां तो ना समझ हैं उन्होंने अपने दांत कभी गिने नहीं, और पुरुष गिनते क्य में। और अरस्तु की दो औरतें थी एक भी नहीं, कभी भी बिठाकर मिसीज अरस्तु को
कह सकता था कि जरा दांत गिन लूं तुम्हारे। वह दांत उसने नहीं गिने लिखा कित वि में स्त्रियों के दांत कम होते हैं। और आज भी उसकी किताब में यही लिखा है लेकिन अगर आज मुझसे कोई कहे यह मान लो अरस्तु ने कहा है तो मैं कहता हूं ि क इतनी स्त्रियां हैं किसी के भी दांत गिन लो। स्त्रियों के दांत सिद्ध करेंगे कि स्त्रियों के दांत सही हैं या अरस्तु कि किताब सही है,
कि अरस्तु का कहना सिद्ध नहीं कर सकता। लेकिन मेरे तर्कशास्त्र के शिक्षक नारा ज हो गए। उन्होंने कहा, 'क्या तुम अरस्तु से ज्यादा समझदार होने का दावा करते हो?' मैंने कहा, 'मैं यह दावा नहीं करता, मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि अरस्तु ने सि त्रयों के दांत नहीं गिने, मैं गिनने का दावा करता हूं। और मैं गिन कर कहता हूं ि
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