Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 44
________________ भारत की खोज बातें सीखानी हों, उतनी अबोध अवस्था में जब बच्चे के पास कोई बुद्धि नहीं होती। इसलिए पाठशालाएं खली हैं मंदिरों में साध संन्यासी बैठे हैं बच्चों को बाल वोध प ढा रहे हैं। वह सबसे बड़ा अपराध हो रहा है। क्योंकि उन वच्चों को वातें समझाई मानी जिन्हें कछ पता नहीं। उन बच्चों को समझाया जा रहा है निवोध होता है. आ त्माएं होती हैं. भतप्रेत होते हैं. स्वर्ग होता है. नरक होता है. मोक्ष होते हैं. इतने दे व होते हैं, इतने रूप होते हैं। वह बच्चे बेचारे सुन रहे हैं। वह बिलकुल सजैस्टिविल हैं। अभी उनको जो भी कहा जाता है वह सोचते हैं जो कहा जाता है वह ठीक ही कहा जाता होगा। क्योंकि यह आदमी झूठ क्यों बोलेगा, उन्हें अभी जिंदगी का कुछ भी पता नहीं है। कि यहां जि नको हम बहुत अच्छे आदमी कहते हैं वह बहुत बुनियादी झूठ बोल रहे हैं। यहां बूरे आदमी जिनको हम इस दुनिया में कहते हैं वह वेचारे छोटे-मोटे झूठ बोल रहे हैं अ और बदनाम हैं। एक आदमी चोर है बेईमान है कौन-सा झूठ बोलता है छोटा-मोटा झुठ पांच रुपए ब चा लेता है। और एक आदमी स्वर्ग और नरक के मोक्ष के नक्शे समझा रहा है, ओ र इस मजे से समझा रहा है जैसे सच बोल रहा हो। और उसे कुछ भी पता नहीं व ह सरासर झूठी वातें कर रहा है। और वह साधु है पूज्य और बच्चों के दिमाग में य ह भरा जा रहा है। भरने की एक ही तरकीव है। समझाओ मत सिर्फ दोहराओ। सम झाने की कोई जरूरत नहीं है। वैज्ञानिक कहते हैं सिर्फ दोहराओ बस रोज अखबार में निकालो कि बिना का कुछ प्रेत सबसे अच्छा है। समझाओं मत कि क्यों अच्छा है इसकी कोई जरूरत ही नहीं है। क्योंकि इस झंझट में पड़े तो मुश्किल में पड़ जाओगे सिनेमा में पोस्टर लगाओ कि बिना कथित पेस्ट खरीदो। फिल्म अभिनेत्री को मुस्करा ते हुए दांतों के साथ खड़ा करो। कि इतने चमकीले दांत विनाका से हो गए हैं। सम झाओ मत, ना कोई पूछने जाता है कि फिल्म अभिनेत्री ने कव विनाका किया। मैंने अभी सुना कि एक बूढ़ा था फ्रांस में कोई एक सौ दस वर्ष का। उसके पास एक पत्रकार गया उसकी एक सौ दसवीं वर्ष गांठ पर, और उसने पूछा कि, 'आपकी इ तनी लंबी उम्र का राज क्या है?' उसने कहा कि, 'अभी ठहरो! अभी दो तरह की कम्पनियों से मेरी बात चल रही है। कि मैं किस कम्पनी के बिस्कुट खाता हूं। जब व ति तय हो जाए तब मैं बता सकता हूं कि किस वजह से मेरी उम्र ज्यादा है। अभी वातचीत चल रही है। अभी निगाशिएशन हो रहा है। अभी तय नहीं हुआ है कि मेर उम्र का असली राज क्या है। जो कम्पनी ज्यादा पैसा देगी उसी के बिस्कुट से मेरी यह उम्र हो गई है। तो फिर मृत्यु को खड़ा करो नचाओ। उसकी सैक्स अपील है। उस अपील का भी फायदा लो और हर पुरुष भूखा है स्त्री का, इसलिए स्त्री को नंगा खड़ा करो। और टूथपेस्ट बेचो। वह स्त्री की वजह से वि केगा, और स्त्री के नंगेपन की वजह से विकेगा। और टूथपेस्ट विकेगा, स्त्री के नंगेपन से टूथपेस्ट का क्या संबंध? कोई संबंध हो सकता है स्त्री के नंगा खड़ा करने से औ Page 44 of 150 http://www.oshoworld.com

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