Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 75
________________ भारत की खोज दूकें थाने में समर्पित कर दी और हथकड़ियां लगवा लीं कि हम बंदूक नहीं चलाएंगे हम खद मरने को तैयार है ना कि हम भाईयों पर गोली नहीं चला सकते। सारे दुनिया ने सोचा कि गांधी जी इसकी तारीफ करेंगे। लेकिन गांधी जी ने इसकी निंदा की। यह तो अहिंसा का अद्भुत उदाहरण था। हमारे खयाल में आएगा कि गां धी जी को तारीफ करनी चाहिए कि अदभत बहादर सैनिक हैं वह जिन्होंने हिंसा क रने से इनकार किया और जिन्होंने अपने भाईयों पर गोली नहीं चलाई। लेकिन गांध । जी ने इसका विरोध किया और निंदा की। गांध । फ्रांस में पत्रकारों ने उनसे पूछा कि. 'हम हैरान हो गए है आप तो अहिंसक है, और आपने सेनिको ने अहिंसा का एक उदाहरण उपस्थि त किया है, उसकी आपने निंदा की। तो गांधीजी ने क्या कहा आपको पता है? गां धीजी ने कहा, 'मैं इस तरह की अनुशासनहीनता की समर्पण नहीं कर सकता। क्यों क इन्हीं सैनिकों के हाथ में कल आजादी आएगी, कल इन्हीं सैनिकों के भरोसे हमक । हुकूमत करनी है। अगर इन्होंने अहिसा इस तरह के काम की अनुशासन के . . . तो हम किन बातों के बल पर हुकूमत करेंगे।' बड़ी मजे की बात है, इसका मतलब यह है कि अंग्रेजों से अहिंसा से लड़ना है। और लड़ लेने के बाद जब ताकत हमारे हाथ में आ जाए तो बंदूक के कुंदे से हिंदुस्तान को दबाना है। इसका क्या मतलब हुआ? इसका अर्थ क्या होता है? इसका अर्थ य ह होता है कि भीतर बहुत गहरे में चाहे हम जानते चाहे ना जानते हों हिंसा की प रतें छिपी हैं। और ऊपर, ऊपर अहिंसा की एक व्यवस्था है। और अगर एक हिंसक आदमी अहिंसक हो जाए, तो वह अहिंसा को भी इस तरह थोपने की कोशिश करेगा जैसे कि हिंसा को थोपने की कोशिश की जाती है। वह दूसरों को भी जबरदस्ती अ हिंसक बनाने की कोशिश करेगा। वह उनकी भी गर्दन पकड़ लेगा। गर्दन पकड़ने के ढंग बहुत तरह के हो सकते हैं मैं आपकी छाती पर छुरालेकर खड़ा हो जाऊं और कहूं कि मेरी बात मानीए अन्यथा मैं छुरा मार दूंगा। तो हम कहेंगे ि क यह हिंसा है। और मैं आपके सामने अपनी छाती पर छुरा लेकर खड़ा हो जाऊं और कहूं कि मेरी बात मानते हैं कि नहीं नहीं तो मैं छुरा मार लूंगा। तो हम कहेंगे कि यह अहिंसक है। यह अहिंसा है यह सत्याग्रह है। यह भी हिंसा है। और यह पह ली वाली हिंसा से ज्यादा खतरनाक और सूक्ष्म है। क्योंकि उसमें दूसरे आदमी को म रने की धमकी नहीं अपने को ही मारने की धमकी दी जा रही है। दूसरे आदमी को मारने की धमकी में तो दूसरा आदमी बचाव भी कर सकता था। अपने को मारने की धमकी में दूसरा आदमी विलकुल कमजोर हो गया वह बचाव भी नहीं कर सक ता। अगर हिंसक आदमी अहिंसक हो जाए तो उसकी अंहिसा भी दूसरे को गर्दन दव ने के काम में आएगी। और उसे दिखाई नहीं पड़ेगा। मैंने एक मजाक सुनी। मैंने सुना है एक गांव में एक युवक ने एक घर के सामने जा कर विस्तर लगा दिया और कहा कि, 'मैं अनशन करता हूं, सत्याग्रह करता हूं, मु झे इस घर की लड़की से विवाह करना है। अन्यथा मैं मर जाऊंगा।' गांव भर में ता Page 75 of 150 http://www.oshoworld.com

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