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भारत की खोज
अरविंद के आश्रम में अभी भी लोग यही मानते हैं, कि वह जिंदा है वह मरे नहीं सर्फ अदृश्य हो गए हैं। बड़े आध्यात्मीक लोग हैं, बड़े आध्यात्मवादी लोग हैं। और व हां बैठकर जो अरविंद का योग साध रहे हैं, वह किस लिए साध रहे हैं कि वह भी फिजिकली इम्मोर्टल हो जाएं। उनका शरीर भी कभी ना मरे । यह बड़ी आध्यात्मिक बात कर रहे हैं आप कि शरीर कभी ना मरे। आध्यात्मिक व्यक्ति वह है जो जीवन और मृत्यु को बराबर मान लेता है। आध्यात्मिक व्यक्ति वह है जो पदार्थ और पर मात्मा को बराबर मान लेता है। आध्यात्मिक व्यक्ति वह है जिसे अंधेरा और प्रकाश समान हो जाता है। आध्यात्मिक व्यक्ति वह है जिसे सुख और दुःख एक ही हो जा ते हैं।
लेकिन यह तो हमारी स्थिति नहीं है। हम निपट भौतिकवादी है। लेकिन आध्यात्मिक की खोल ओढ़े हुए वह झूठी खोल हो वह झूठा आदमी आध्यात्म के ऊपर बैठा है। और भीतर निपट भौतिकवादी आदमी बैठा है। और भीतर निपट भौतिकवादी आदम
बैठा है। यह सब का सब जानना विचारना खोजना जरूरी है ताकि भारत की सच् ची प्रतिभा निखर सके, और प्रकट हो सके। भारत की प्रतिभा की रूकावट में यह स रे कारण हैं।
यह थोड़े से प्रश्नों के आधार पर मैंने कुछ बात कही । कुछ और प्रश्न रह गए। कल संध्या होने के बाद कहूंगा। कल सुबह अंतिम सूत्र पर बात करूंगा कि भारत की स मस्याएं और उसकी प्रतिभा को रोकने में, कहां अटकाव है, कहां पत्थर है, कहां दी वार है।
मेरी बातों को इतनी शांति और प्रेम से सुना, उससे अनुग्रहित हूं। और अंत में सब के भीतर बैठे परमात्मा को प्रणाम करता हूं।
मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
ओशो
नए भारत की खोज
टाक्स गिवन इन पूना, इंडिया डिस्कोर्स नं० ५
मेरे प्रिय आत्मन्
बीते दो दिनों में भारत की समस्याएं और हमारी प्रतिभा, इस संबंध में कुछ बातें मैं ने कहीं। पहले दिन, पहले सूत्र पर मैंने यह कहा, 'कि भारत की प्रतिभा अविकसित रह गई है पलायन एसकेपीजम के कारण।
जीवन से बचना और भागना हमने सीखा है जीवन को जीना नहीं, और जो भागते हैं। वह कभी भी जीवन की समस्याओं को हल नहीं कर सकते। भागना कोई हल न हीं है, समस्याओं से पीठ फेर लेना और आंख बंद कर लेना कोई समाधान नहीं है। समस्याओं को ही इनकार कर देना, झूठा कह देना, माया कह देना, समस्याओं से अ
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