Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 93
________________ भारत की खोज खि बंद कर लेना तो है। लेकिन उस भांति समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती। मन क ो राहत मिलती है कि समस्याएं हैं ही नहीं। लेकिन समस्याएं जीवित रहती है, विज य हैं। और समस्याएं जितना नकसान पहुंचा सकती है पहंचाती हैं। और जो समस्या विना हल की हई रह जाती है वह मस्तिष्क में घाव और बीमारी की गांठ बन जात है कोम्प्लैक्स वन जाती है। और भारत ने अपने इतिहास में समस्याएं इतनी इकट्ठी कर ली हैं। कि आदमी उन के नीचे दब गया है जैसे पहाड़ के नीचे दब गया हो। दूसरे दिन मैंने कहा कि, 'भारत की प्रतिभा के विकास में दूसरी वात वाधा बन गई है। और वह है परंपरावाद, ट्रेडीशनलटी। परंपरावादी चित्त हमेशा पीछे की तरफ दे खता है। आगे की तरफ उसकी आंखें नहीं होती हैं। समस्याएं आगे से आती हैं और परंपरावादी चित्त के समधान पीछे से आते हैं। समस्याएं सदा आगे से आती हैं और समाधान सदा पीछे से आते हैं। उनका कोई तालमेल नहीं बैठ पाता। उनमें कोई सं बंध नहीं हो पाता। समाधान अलग इकट्ठे होते चले जाते हैं। समस्याएं अलग इकट्ठी होती चली जाती हैं। और एक चमत्कार घटित होता है। समस्याओं के बोझ से भी हम दब जाते हैं और समाधानों के बोझ से भी। भारत की प्रतिभा को समस्याएं भी नुकसान पहुंचा रहीं हैं और भारत के तोते की तरह सीखे गए समाधान भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यदि समाधान पकड़ लिए जाएं और समस्य ओं से उनका कोई मेल ना होता हो तो वे समाधान नए समाधान खोजने में बाधा वनते हैं। और हमें यह भ्रम पैदा होता है कि हम तो समाधान जानते हैं। भारत को ज्ञानी होने का भ्रम पैदा हो गया है और इसलिए भारत ज्ञानी भी नहीं हो सकता है , नहीं हो पा रहा है। हम अपने अज्ञान में ठहर गए हैं क्योंकि ज्ञानी होने का भ्रम पै दा हो गया। एक छोटी-सी कहानी से मैं यह बात साफ करूंगा। फिर तीसरे सूत्र पर आपसे वात करूंगा। एक छोटी कहानी आपने सुनी होगी, सुना होगा वहुत पुरानी कहानी है। सुना होगा, कि एक राजमहल के चूहों ने बैठक की और विचार किया कि हम बहुत परे शान हैं। विल्लीयां सदा से हमें परेशान कर रही हैं। हम क्या करें बचाव का उपाय? तो उन चूहों के बूढ़े चूहे ने कहा, 'एक ही रास्ता है कि बिल्ली के गले में घंटी वां ध दी जाए।' लेकिन घंटी कोई कैसे बांधे? घंटी कौन बांधे, फिर हजारों साल बीत गए इस बात को जब भी विल्ली ने चूहों को परेशान किया चूहों ने सभा की, और ि फर वही समाधान बूढ़ों ने दिया कि घंटी बांध दो। लेकिन फिर चूहों ने कहा, 'घंटी कौन बांधे। घंटी कैसे वांधी जाए।' समाधान तो मा लूम है कि बिल्ली के गले में घंटी बंध जाए, घंटी बजती रहे तो चूहे सावधान हो ज एं और विल्ली हमला ना कर पाएं। लेकिन यह समाधान, समाधान ही है विल्ली चू हों को खाती ही चली जाती है। और यह समाधान पूरा हो नहीं पाता। और चूहों के पुराणों में लिखा है कि यह तो पहले से ही समाधान गुरुओं ने दिया हुआ है ऋषिमुनियों ने लेकिन समाधान पूरा नहीं हो सकता। फिर मैंने सुना है कि वीसवीं सदी में Page 93 of 150 http://www.oshoworld.com

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