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भारत की खोज
हैं फिर खेती क्षीण होने लगती है, फिर कम फसल होने लगती है। और एक खेत पड़ा है जिसमें हजारों साल से खेती नहीं हुई खाली पड़ा है।
उस पर अगर कोई दाने फैंक दे तो सारे पड़ोस के खेत पीछे पड़ जाएं उसमें जो फ सल आए उसका मुकाबला ना हो। भारत अगर नया होने की तैयारी कर ले तो शा यद भारत से बड़ी प्रतिभा खोजना पृथ्वी पर मुश्किल है। लेकिन हमारे नए होने की तैयारी ना हो। तो फिर, फिर सिवाय निराशा के भविष्य में और कुछ दिखाई नहीं प. डता। लेकिन निराश होने का मैं कोई कारण नहीं देखता हूं। मुझे लगता है कि नया हुआ जा सकता है। नए के सूत्र खोजे जा सकते हैं नए को..
वही चंदन टीका लगा रहे हैं वही भोग लगा रहे हैं खुद भूखे बैठे हैं। भगवान को भो ग लगा रहे हैं, घंटी बजा रहे हैं। वही पूजन चल रहा है। हे भगवान, कुर्सी भेजो । और दरवाजे बंद हैं। हे भगवान नया करो सब, और खिड़कियां बंद हैं। हे भगवान, सांस घुटी जा रही है, नया लेखा भेजो लेकिन भाग्य की प्रतिक्षा करनी पड़ेगी। एक छोटी कहानी और बात मैं पूरी करूं । मैंने सुना है एक बार ज्योतिषियों ने यह खबर दी कि, 'सात साल तक पानी नहीं गिरेगा।' एक किसान बेचारा अपने खेत क की तैयारी कर रहा था वर्षा आने के करीब थी । छोटी-छोटी वदलीयों ने निकलना शुरू कर दिया था। वह खेत खोद रहा था सुनी खबर लोगों ने कहा, 'ज्योतिषि कहते हैं कि सात साल तक वर्षा नहीं होगी तो उसने अपना सामान खल वक्खर उठा कर मकान के भीतर संभाल के रख दिए कि जब वर्षा ही नहीं होगी तो फिर खेत क्या तैयार करना। सात दिन घर में बैठे बैठे बहुत घबरा गया। हाथ पैर ढीले पड़ गए। सोचा कि सात दिन में यह हालत हो गई मरने की, कुछ ना करूंगा तो सात साल में तो मैं नहीं बचूंगा। और अगर बच भी गया मारा-पूरा किसी तरह तो सात साल में खेती कैसे की जाती है यह ना भूल जाऊं । तो उसने सोचा जब होगा जो होगा । हम खेत तो खोदेंगे ही। खेत तो खोदते ही रहें। कम से कम अभ्यास तो जारी रहेगा । कम से कम जानते तो रहेंगे कि खेती कैसे की जाती है। उसने आकर बाहर सात दिन बाद खेत खोदना शुरू कर दिया एक छोटी-सी बदली ऊपर से निकलती थी उ सने कहा, ‘अरे मूर्ख किसान तुझे पता नहीं कि ज्योतिषियों ने कहा है कि वर्षा सात साल तक नहीं होगी। क्या कर रहा है यह सुना नहीं तूने ।
उस किसान ने कहा, 'मैंने सुना है, बेरी सात दिन बैठा रहा, बैठे-बैठे घबरा गया। बैठ ना तो मौत हो गई मैंने सोचा कहीं भूल ना जाऊं कहीं मर ना जाऊं । कहीं भूल गय
खेती करना तो वर्षा भी होगी तो किस काम पड़ेगी इसलिए मैं अपना काम जारी रखे हुए हूं जब होगी वर्षा तो ठीक है। तब तक कम से कम काम का अभ्यास तो रहेगा। उस बदली ने सोचा यह भी ठीक कहता कि कहीं सात साल में ऐसा ना ह
कि मैं पानी बरसाना भूल जाऊं । भाड़ में जाएं ज्योतिषि, उसने वहीं पानी बरसा दया। सात साल में भूल गए पानी बरसाना तो मुश्किल हो जाएगी। जो श्रम करता है वहां भाग्य आ जाता है। भाग्य श्रम की छाया है। और हम भाग्य की प्रतिक्षा कर रहे हैं। और देख रहे हैं जो होगा उसे देखते रहेंगे। तमाशगिन की त
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