Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 132
________________ भारत की खोज यह तो संयोग की बात थी कि वह फूल खिला था मैं उस रास्ते से निकला था। घड़ी भर मैंने उसे देखा और मैं खुश हुआ और हो सकता है कि फूल भी जीवित है। को ई देखकर उसे खुश हुआ हो तो फल भी खुश हआ हो. यह हमें पता नहीं क्योंकि फ ल ने हमसे कुछ कहा नहीं। लेकिन फूल ने भी एक आदमी ठहर गया है एक क्षण को और उसको देखा हो और खुश हुआ। बस जिंदगी ऐसी होनी चाहिए। मैं अपने आनंद में हं. फल अपने आनंद में है। हम क्षण के लिए मिले हैं हम दोनों आनंद में हैं फिर आगे बढ़ गए हैं। किसी का सह रा नहीं, किसी का आधार नहीं, नहीं तो क्या खतरा होता है? जिसको हम आधार बनाते हैं पहली तो वात हम उसके लिए वोझ हो जाते हैं दक्षणाएं। क्योंकि तुमने तो आधार बनाया ना, और उसके लिए तुम बोझ हो गए। बेटी बाप के लिए बोझ है, वह कह रहा है कि कब इसका शादी विवाह कर, और इससे छुटकारा पाएं। बुढ़ । मां बेटे के लिए बोझ है। यह कब स्वर्गवासी हो जाएं, भीतर यही चल रहा है। क्य कि वह बूढ़ी मां उसको सहारा बनाए हुए है। तो वह तो सहारा भी बोझ हो गया है। पत्नी पति के लिए बोझ है। पत्नी के लिए पति बोझ है क्योंकि वह एक दूसरे को सहारा बनाए हुए हैं। फिर जिसके लिए हम बोझ हैं उस पर क्रोध आता है। पता नहीं चलता पूरा वक्त रोता है क्योंकि बोझ हो गया। और जिसके प्रति हमारा बोझ है। उसके साथ हम आनंदित कभी नहीं हो स कते। इसलिए कोई पत्नी किसी पति के साथ आनंदित नहीं हो सकती, जब तक कि वह साथी ना हो जाएं। सहारा वहारा नहीं, और दोनों स्वतंत्र लोग हों तब तक क भी सुखी नहीं हो सकते। इसलिए तुम हैरान होगी, कभी हम अनजान आदमी से मिलकर जितने खुश होते हैं, अपने ही घर के आदमी से मिलकर उतने खुश नहीं होते। ज्यादा होना चाहिए। क्य में? यह वही कारण है उससे ना कोई लेना देना नहीं है कोई अपेक्षा नहीं है। अगर तुम रास्ते पर मुझे मिली और तुमने नमस्कार करके मुझे और मैंने हंसकर नमस्कार का उत्तर लिया तुम खुश हुई, क्योंकि मुझसे कुछ लेना देना नहीं था। मैंने मुस्कराकर तुम्हें जबाव दिया तुम्हें अच्छा लगा, लेकिन तुम्हारा पति भी मुस्करा कर जवाब देगा, यह रोज का धंधा है यह अपेक्षा है हमारी नहीं देगा तो हम गर्दन पकड़ लेंगे उसकी कि आज मुस्कराकर जवाब नहीं दिया, या मुस्कराकर दिया तो भी हम जांच रखेंगे कि सच में मुस्कराया था कि धोखा दे रहा है। यह सब चलेगा, क्य कि हमने गलत संबंध बना लिए हैं। मेरा कहना यह है कि प्रत्येक को अपने व्यक्तिगत जीवन को आधार बनाना चाहिए। फिर बहुत लोग किनारे से आएंगे, पति भी होगा बेटा भी होगा मां भी होगी, मित्र भी होंगे, साथी भी होंगे, ठीक है, वह साथ मिलेंगे हम आनंदित होंगे हम शेयर क रेंगे अपना आनंद उनसे, लेकिन किसी के कंधे पर हाथ नहीं रखना। क्योंकि जिसके कंधे पर तुमने हाथ रखा तुम उसी के लिए वोझ हो गए। और मजा यह है कि एक Page 132 of 150 http://www.oshoworld.com

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