Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 147
________________ भारत की खोज कहता है, 'नहीं करने देंगे, अगर करोगे तो घर से बाहर निकाल देंगे।' वह गोमसे वादी है। गोमसेवादी का मतलब क्या होता है ? गोमसे वादी का मतलब यह होता है कि बुद्ध को विचार को नहीं मानता, मारपीट को मानता है। इसका कोई और मतलब नहीं रखता। हम सब मार-पीट को मानते हैं । और ऊपर से मानते यह हैं कि नहीं मान रहा तो आदमी शसक्त हो जाएगा। फिर मान जाएगा । और जिनको तुम गांधीवादी कहते हो, उसमें से निन्यानवें परसैंट गोमसेवादी हैं । अभी राजकोट में मैंने यह किया कि जहां मेरी मीटिंग रखी वहां हाल कैंसिल करवा दिया। ग्राउंड तो ग्राउंड नहीं देंगे अखबार में खबर नहीं छापेंगे, एडवर्टाइजमेंट नहीं लेंगे कि मैं आया हूं राजकोट में यह भी पता ना चल सके। अब यह सब क्या है यह सब गोमसेवाद है। इसका मतलब यह है कि मैं जो कहना चाहता हूं वह नहीं सुन दिया जाए लोगों को। अगर कोई तरह से मैंने कहना जारी रखा तो आखिरी उपाय यह है कि गर्दन काट दो। फिर यह बोल ही नहीं सकेगा। मगर यह तरकीबें वही हैं। । हाल कैंसिल करवा दो, मीटिंग मत होने दो, अखबार में खबर मत निकलने दो, आप क्या कह रहे हैं, आप यह कह रहे हैं ? कि इस आदमी को बोलने नहीं देंगे। लेकिन अगर यह आदमी बोलता ही चला जाए और आपका कोई उपाय ना चले तो आप इसमें गोली मारो जिससे यह बोल ना सके। मारते किसलिए हैं ? वह इसलिए कि यह आदमी जो कर रहा है वह ना कर सके। मगर यह दलील नहीं है यह कम जोरी रही। गोमसे जो है, एकदम कमजोर आदमी है। और इस तरह के सब लोग कमजोर हैं। मैं गांधी का विरोध करता हूं तो कोई यह नहीं कहता कि, 'गोमसे कोई अच्छा आद मी था। गोमसे, गोमसे तो गलत आदमी ही है, तो कोई फर्क नहीं पड़ता वाचक - (अस्पष्ट ) बहुत से कारण हैं ताकत के कारण बहुत हैं ताकत के । अकेला सत्य ही कारण नह होता। अकेला सत्य ही कारण नहीं होता। हजार कारण होते हैं ताकत के जैसे -. ना ना ना फोर्ट बनाने के तो हजार रास्ते हैं। पहली तो बात यह है कि आम आदमी को सत्य तो समझ में नहीं आता ना, ना, ना मेरी बात सुन लें। आम आदमी को सत्य समझ में नहीं आता, स्व ार्थ समझ में आता है। और स्वार्थ बड़ी ताकत है जैसे- आज मजदूरों को जाकर ए क आदमी समझाए कि तुम इकट्ठे हो जाओ हम फैक्ट्री पर तुम्हारा कब्जा करवा देंगे । तो उस मजदूर को कोई कम्युनिज्म थोड़े ही समझ में आ रहा है । उसको तो कुल इतना समझ में आ रहा है कि यह तो बहुत बढ़िया है, कि अगर फैक्ट्री पर कब्जा हो जाए। उसे कम्युनिज्म से थोड़े ही मतलब है । उसे कोई कम्युनिज्म का सत्य थोड़े ही समझ में आ रहा है । उसे समझ में यह आ रहा है कि ठीक है अच्छा है। तो च लो बहुत रौब दिखा लिया मालिक ने अब अपन भी जरा इस पर कब्जा कर लें। Page 147 of 150 http://www.oshoworld.com

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