Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 150
________________ भारत की खोज भारत की जांच कर ली कि कितनी ताकत है। भारत को भी रौदा जा सकता है. . नहीं दिक्कत नहीं है भारत के साथ, दिक्कत नहीं है। इसकी जांच हो गई मामला खत्म कर लिया। इसकी जांच कर लेनी जरूरी है दश्मन से लडते हैं ना। दो आदमी कश्ती लडते हैं तो पहले हाथ मिलाते हैं तो जनता सोचती होगी कि हाथ प्रेम से मला रहे हैं। वह सिर्फ एक दूसरे का हाथ दवा कर देखते हैं कि ताकत कितनी है। पहलवान लड़ने जाते हैं ना तो पहले ऐसे हाथ मिलाते हैं तो लोग यह समझते हैं कि सिर्फ सदभाव प्रकट कर रहे हैं। सदभाव नहीं है वह। वह तो हाथ दबा कर देखते हैं कि मामला कितना है। हमें कैसे आदमी से जूझना है? वह सिर्फ हाथ दबाकर देख [भारत का। और समझ में आ गया कि मामला बिलकुल बोगस है भारत के पास। यह कभी भी तोड़ा जा सकता है। इसलिए पीछे लौट आओ। उससे फायदा हुआ / चाइना को कोई नुकसान ही नहीं हो रहा पंद्रह सालों से . . . यह भी समझ लिया, यह भी समझ लिया। हमारी हमारी साईक्लोजी समझना बहुत आसान है दुनिया में, और यही हम नहीं जानते। इसलिए चुपचाप वापस लौट गए क योंकि अगर लड़ाई जारी रखें तो हिंदुस्तान ताकतवर हो सकता है। वापस खींच लिय [ हाथ अपना, वात ही खत्म कर दी। और साल भर वाद आपने अपने सारे अरेंजमें ट तोड़ दिए जो आप तैयारी भी कर रहे थे। अब आप कोई तैयारी नहीं कर रहे। आपकी, आपके दिमाग को समझ लिया गया है कि आप जब लड़ाई होगी तभी तैया री करते हो। आगे पीछे तैयारी नहीं करते। आपका माईंड साफ है बहुत साफ है। यानि हम उन लोगों में से हैं जब मकान में आग लग जाएगी तब कुंआ खोदेंगे। मक नि में आग बुझ गई तो कुंआ खोदना बंद कर दिया। इसलिए वह तो वह तो सिर्फ. वाचक-सारा मुल्क ऐसा है। हमारा माईंड ऐसा है . . . Page 150 of 150 http://www.oshoworld.com

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