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भारत की खोज
लन खो जाता। स्टैलिन खो जाता फिर. दसरे लोग ताकत में आ जाते तो जो भी त कित में आ सकता था उसको खत्म कर दिया फौरन. . . वाचकस्टैलिन के मन में, स्टैलिन के मन में असल में क्या था?. . देश का भला थोडी दर तक तो दिखाई पडेगा। लेकिन वहत गहरे में तो खुद का डक्टैनोशिटी राज थी। देखरेख के भले तो हमारे बहुत कुछ जस्टिफिकेशन होते हैं। ज ो हम कर रहे हैं। वह उतने उतने साफ नहीं होते। वाचक-. . . स्टैलिन की कब्र खोद कर फैकी गई। यह क्या राज थी या कोई राजन िित का पाठ था? घृणा और रिवेंज और बदला क्रुशचव का। असल में होता क्या है अंडरडाग जो होते हैं वह पीछे उनको क्रोध तो रहता ही है हमेशा अब ऋशचव को जिंदगी भर जब तक स्टैलिन जिंदा था जी हजूरी करनी पड़ी। जो स्टैलिन कहे वही सत्य था। इसमें कोई ना नूज करने की जरूरत नहीं थी। लेकिन मन में तकलीफ तो होती ही है, अ पमान तो होता ही है इस सबसे।. . . . . . . . . . . एक, और . . . को भारत वारत से कोई डर नहीं होता। उसका कोई मतलब नहीं और यह जो लोकप्रियता होती है, नेहरू जैसी लोकप्रियता यह किसी डिक्टेटर को क भी नहीं मिल सकती। यह मेरी नेचर है। डिक्टेटर को कभी नहीं मिल सकती। वाचक-डिक्टेटर बनने के लिएक्या यही खास चीज है ? । रूस में मामला बहुत अजीव है। रूस में पता ही नहीं चलता कि कल कौन आदमी व न जाएगा क्योंकि थोड़ा सा ग्रुप सव मेनिज कर रहा है। हां, वहुत थोड़ा सा ग्रुप है। मैनेज करता है। कुछ पता नहीं चलता। जनता को कुछ पता नहीं चलता कि वहां है । जनता को कुछ मतलब नहीं है. . . बहुत कारण लेकिन बहुत कारण हैं। बड़ा कारण तो यही था कि चीन जांच परख कर रहा है अपने आस पास कि कौन कितना ताकतवर है। सिर्फ. . . वह जांच परख हमला करने में यही खयाल था कि जांच परख हो जानी चाहिए आ सपास कि दुश्मन कौन ताकतवर है और किससे टक्कर हो सकती है? तो भारत से ही टक्कर ऐशिया में हो सकती थी। और भारत को उसने जान लिया कि कोई खत रा नहीं कि कभी भी टक्कर ली जा सकती है इसलिए वापस लौटा दिया। अब वर्ल्ड फोर्सीज में किससे टक्कर ली जा सकती है। तो दो ही फोर्सीज हैं, अमरीका है या रूस है। अमरीका से टक्कर लेना महंगा पड़ सकता है, रूस से टक्कर लेना सस्ता पड़े
चीन के इतिहास वर्ल्ड डोमिनेशंस के हैं। माओग के पास वही दिमाग है जो हिटलर के पास में था, नैपोलियन के पास था, सिकंदर के पास था। वही दिमाग है वह अप नी पूरी कोशिश करेगा। एशिया में सिर्फ एक से डर था सिर्फ भारत । एशिया में किसी और से डर का कोई कारण ही नहीं। एशिया में वाकी पूरा एशिया दो दिन में रौंदा जा सकता है। और
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